समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। विश्वकर्मा पूजा का दिन देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा जी के लिए समर्पित है। इस दिन विश्वकर्मा जी की पूजा करते हैं। विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर फैक्ट्री और दुकानों में मशीन, औजार आदि की पूजा करते हैं, वहीं कलम, दवात, बहीखाता, वाहन आदि की भी पूजा होती है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस साल विश्वकर्मा पूजा के दिन दो शुभ योग बनेंगे। जो सुकर्मा योग और रवि योग होगा। विश्वकर्मा पूजा उस दिन करते हैं, जिस दिन कन्या संक्रांति होती है। आइए जानते हैं कि विश्वकर्मा पूजा कब है और पूजा का मुहूर्त क्या है?
विश्वकर्मा पूजा 2024 तारीख
इस साल कन्या संक्रांति 16 सितंबर का है, इसलिए विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर सोमवार के दिन है। उस दिन सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करेंगे, इसके साथ ही सौर कैलेंडर का 6वां माह कन्या का शुभारंभ होगा।
2 शुभ योग में विश्वकर्मा पूजा 2024
इस बार विश्वकर्मा पूजा पर दो शुभ योग बन रहे हैं. विश्वकर्मा पूजा के दिन सुकर्मा योग और रवि योग बन रहा है। विश्वकर्मा पूजा के दिन सुकर्मा योग प्रातःकाल से लेकर दिन में 11 बजकर 42 मिनट तक है। उसके बाद से धृति योग बनेगा वहीं रवि योग शाम के समय 4 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगा और यह अगले दिन 17 सितंबर को सुबह 6 बजकर 7 मिनट तक मान्य होगा।
विश्वकर्मा पूजा 2024 मुहूर्त
- 16 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा आप सुकर्मा योग में कर सकते हैं. वैसे सुबह में 6 बजकर 23 मिनट से सुबह 9 बजकर 14 मिनट तक अच्छा समय है। उस दिन का शुभ मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक है।
- विश्वकर्मा पूजा के दिन लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह में 6 बजकर 23 मिनट से सुबह 7 बजकर 49 मिनट तक है, उसके बाद अमृत-सर्वाेत्तम मुहूर्त सुबह 7 बजकर 49 मिनट से सुबह 9 बजकर 14 मिनट तक है।
- विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर धनिष्ठा नक्षत्र प्रातःकाल से लेकर शाम 4 बजकर 33 मिनट तक है, इसके बाद से शतभिषा नक्षत्र है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा करने से व्यक्ति को बिजनेस में उन्नति मिलती है. भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से व्यापार में तरक्की मिलती है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के आदेश पर विश्वकर्मा जी ने सृष्टि का मानचित्र बनाया था। इनको संसार का पहला इंजीनियर भी कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, विश्वकर्मा जी ने पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, सोने की लंका के अलावा देवी-देवताओं के अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया था।
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