समाचार सच, हल्द्वानी/काशीपुर। 11 सूत्री मांगों को लेकर उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले आशा कार्यकत्रियों ने तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है। प्रदेशभर में जारी आंदोलन के पहले दिन शुक्रवार को आशा वर्करों ने सरकार के खिलाफ जमकर गरजीं। हल्द्वानी महानगर में महिला अस्पताल में धरना-प्रदर्शन व पूर्ण कार्य बहिष्कार किया गया।
आयोजित सभा में यूनियन के प्रदेश महामंत्री कैलाश पांडेय ने कहा कि आशाओं को मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नियुक्त किया गया था लेकिन उसके बाद आशाओं पर विभिन्न सर्वे और काम का बोझ लगातार बढ़ाया गया है। दिक्कत यह है कि काम तो आशाओं से लिया जाता है, किंतु उसका भुगतान नहीं किया जाता। यानी आशाओं को सरकार ने मुफ्त का कार्यकर्ता समझ लिया है। काम बढ़ाना है तो उसका भुगतान भी उसी हिसाब से दिया जाना चाहिए।
नगर अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि आशाओं के सवालों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना तो दूर रहा सरकार आशाओं के ज्ञापनों का जवाब तक देना जरूरी नहीं समझती है। लगातार एमरजेंसी ड्यूटी कर रही आशाओं के प्रति सरकार का इस तरह का रवैया अफसोसजनक है।
सभा के पश्चात उपजिलाधिकारी हल्द्वानी के माध्यम से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर 11 सूत्रीय मांग की गई। जिसमें आशा वर्करों को सरकारी सेवक का दर्जा और न्यूनतम 21 हजार वेतन लागू करने, जब तक मासिक वेतन और कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तब तक आशाओं को भी अन्य स्कीम वर्कर्स की तरह मासिक मानदेय फिक्स किया जाने, देय मासिक राशि और सभी मदों का बकाया सहित अद्यतन भुगतान, आशाओं के विविध भुगतानों में नीचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी पर लगाम लगाने की मांग की। इन मांगों को लेकर तीन दिवसीय राष्ट्रीय हड़ताल में विभिन्न आशा यूनियनें संयुक्त रूप से पूरे राज्य में कार्यबहिष्कार व धरना-प्रदर्शन कर रही हैं। यूनियन ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि इन मांगों पर तत्काल कार्यवाही नहीं की गई तो हमें पूरे राज्य में अन्य आशा यूनियनों के साथ मिलकर उग्र अनिश्चिकालीन बहिष्कार व आंदोलनात्मक कार्यवाही को बाध्य होना पड़ेगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
धरने में मुख्य रूप से रिंकी जोशी, रीना बाला, शांति शर्मा, प्रीति रावत,रेशमा, उमा दरमवाल, यशोदा बोरा, मिथिलेश, मुमताज, चम्पा मंडोला, भगवती, बीना जोशी, गंगा तिवारी, कमरुन्निशा, चम्पा मेहरा, कमला कंडारी,गीता थापा, पूनम बोरा, निशा, ममता,शाइस्ता, शकुंतला,मीनू, अनिता सक्सेना, जानकी थापा, प्रियंका, सलमा, प्रभा, शाहीन, दीपा पाण्डे, सायमा सिद्दीकी, सुनीता देवी, गंगा आर्य, अंजना, सावित्री, विमला पाण्डे, शिव कुमारी आदि बड़ी संख्या में आशा वर्कर्स मौजूद रहीं।
इधर यूएसनगर जिले के काशीपुर में एलडी भट्ट सरकारी अस्पताल परिसर में आशा कार्यकत्रियां एकत्र हुई। जहां राष्ट्रीय स्तर पर स्कीम वर्कर्स यूनियनों व आशाओं के राष्ट्रीय फेडरेशनों ने संयुक्त रूप से 7, 8 व 9 अगस्त को अपनी मांगों के संबंध में तीन दिवसीय हड़ताल, धरना-प्रदर्शन व कार्यबहिष्कार शुरू किया।
इस मौके पर संगठन की अध्यक्ष स्नेह लता चौहान, संजू बाला, कुसुम पाल, चित्रा चौहान, कमलेश, पूनम, ऊषा प्रजापति, शशिबाला, अनीता, लक्ष्मी समेत अन्य आशाएं मौजूद थी।
उधर लोहाघाट में आंदोलन के पहले दिन एसडीएम कोर्ट परिसर पर जिलाध्यक्ष सरस्वती पुनेठा के नेतृत्व में आशा कार्यकत्रियों ने कहा कि सरकार ने कोविड कार्य में लगी आशाओं को एक एक हजार रूपये लॉक डाउन भत्ता देकर उनका अपमान किया है।
उन्होंने कहा कि तीन दिनों तक वह कार्य बहिष्कार पर रहेंगी और कोई भी काम नहीं करेंगी।
इस मौके पर रीता सिंह, पदमा प्रथोली, हेमा जोशी, रीना सिंह, माला देवी, ममता देवी, बसंती जोशी, पार्वती, सुनीता जोशी, दीपा जोशी, नंदा मेहता, लमी देवी, रेखा देवी, चंपा राय, हेमा कलौनी, कुशुमा, आशा सामंत, विनीता पांडेय आदि शामिल थी।
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