51 सांसद भी नहीं मना पाये राहुल को…

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-राहुल ने फिर कहा- मुझे जाना है, जल्द रिप्लेसमेंट देखे कांग्रेस

समाचार सच, नई दिल्ली। राहुल गांधी कांग्रेस चीफ पद छोड़ने के अपने फैसले पर अभी तक अड़े हैं। पार्टी के शीर्ष नेताओं और सांसदों की गुजारिश फिर से खारिज करते हुए बोले कि वह पार्टी अध्यक्ष नहीं रहना चाहते। बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि यह इस (अध्यक्ष पद को लेकर) चर्चा का मंच नहीं है। दरअसल, बुधवार (26 जून, 2019) को संसद भवन परिसर में उनकी मां और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेसी लोकसभा सदस्यों की बैठक हुई।

राहुल से उसी दौरान पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अध्यक्ष पद पर बने रहने की एक बार फिर से दरख्वास्त की। दावा किया कि और कोई व्यक्ति उनसे बेहतर दल का नेतृत्व नहीं कर सकता। सूत्रों की मानें तो कई सांसदों ने राहुल से कहा, “लोकसभा चुनाव में हार सामूहिक जिम्मेदारी है और इस महत्वपूर्ण समय में पार्टी को आपके नेतृत्व की जरूरत है।”

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जानकारी के अनुसार, पार्टी चीफ ने इस पर जवाब दिया, “यह इस चर्चा का मंच नहीं है। आप लोग पहले भी ये (दरख्वास्त) बात कह चुके हैं, पर मैं भी कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में अपना फैसला साफ कर चुका हूं। किसी न किसी को तो जवाबदेही (आम चुनाव में हार पर) होनी चाहिए।”

हालांकि, शशि थरूर सरीखे कुछ नेताओं ने इसके बावजूद उनसे अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए कहा, मगर वह नहीं माने। बोले, “मैं अपने निर्णय पर अडिग हूं।” कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, बैठक में संसद के मौजूदा सत्र में पार्टी की रणनीति पर भी चर्चा हुई।

इसी बीच, कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के कार्यकर्ता भी दिल्ली स्थित राहुल के आवास पर पहुंचे, जहां उन्होंने पार्टी चीफ से अपना फैसला बदलने को लेकर अनुरोध किया था। वे उस दौरान कुछ तख्तियां भी लिए थे, जिन पर ‘देश मांगे राहुल गांधी’ (नेशन नीड्स यू राहुल गांधी) और ‘आपके बगैर हम कुछ नहीं’ (विदआउट यू वी आर नथिंग) सरीखे नारे लिखे थे।

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बता दें कि आम चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद 25 मई को सीडब्ल्यूसी बैठक में राहुल ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। हालांकि, कार्य समिति के सदस्यों ने उस पेशकश को खारिज कर दिया था और उन्हें आमूल-चूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था। वहीं से इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी है कि राहुल कांग्रेस अध्यक्ष रहेंगे या और नेता को यह जिम्मा सौंपा जाएगा।

(साभार: जनसत्ता)

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