गैरसैंण में पलायन रोकने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक, सशक्त भू-कानून पर चर्चा

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समाचार सच, गैरसैंण। उत्तराखंड में पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में चमोली जिले के विधानसभा परिसर भराड़ीसैंण में पलायन निवारण आयोग की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में पलायन के प्रमुख कारणों पर चर्चा के साथ ही इसके समाधान के लिए बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और सशक्त भू-कानून के निर्माण पर मंथन किया गया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार पहाड़ी क्षेत्रों से हो रहे पलायन को रोकने के प्रति गंभीर है और इसके लिए कई योजनाओं पर कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करने के प्रयास किए जा रहे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ-साथ युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सामुदायिक विकास कार्यक्रमों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। पिछले तीन वर्षों में स्वरोजगार के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया गया है, और इस दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है।

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मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को श्रेष्ठ राज्यों की श्रेणी में लाने का लक्ष्य है। पलायन निवारण आयोग के सुझावों के आधार पर विभिन्न विभागों के माध्यम से ठोस कार्य योजनाएं बनाई जा रही हैं। जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन को रोकने के लिए कई योजनाएं लागू की गई हैं, जिनमें बुनियादी सुविधाओं का विकास और रोजगार के नए अवसर पैदा करना प्रमुख है।

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प्रवासियों को भी इस मुहिम से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे उनके सुझावों को धरातल पर उतारा जा सके। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस दिशा में देश-विदेश के प्रवासी उत्तराखंडी अच्छी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

इसके साथ ही सीएम धामी ने कहा कि सरकार भू-कानून को लेकर भी गंभीर है और इसे जनभावनाओं के अनुरूप बनाने का प्रयास किया जा रहा है। भू-कानून के लिए कई अच्छे सुझाव मिले हैं, जिन्हें ड्राफ्ट में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एसडीएम और तहसीलदार स्तर पर भी जनता से सुझाव लिए जा रहे हैं, ताकि स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं और विकास के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक सशक्त भू-कानून तैयार किया जा सके।

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