लाखों रुपये की नौकरी छोड़ पहाड़ लौटे चार युवाओं ने बंजर होते खेतों में बोये औषधीय पौधे

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-किमालया नेचुरल प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी खोलकर चलाई पलायन रोकने की मुहिम, 10 लोगों को दिया रोजगार

समाचार सच, अल्मोड़ा। ‘लस्का कमर बाँधा, हिम्मत का साथा। जे के मनम ठानि दिया, हैछे क्या ठुली बाता।’ अमर लोकगायक हीरा सिंह राणा जी की इन्हीं पंक्तियों को जीवंत कर रहे हैं अपनी कर्मभूमि दिल्ली से अपनी जन्मभूमि उत्तराखंड लौटे चार नौजवान। अपने मन में एक ही उद्देश्य और एक ही लगन लिये कि उत्तराखंडवासियों के लिए कुछ करना है। इनकी इस चाह को राह दिखाई इनके ही अपने दृढ़संकल्प ने। इनकी सोच थी कि केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित ना रहकर वास्तविकता में कार्य करना। इसी दृढ़ संकल्प को लेकर चार लोगों ने एकमत होकर एक टीम बनाई और निकल पड़े अपने पहाड़ की ओर। फिर इन्होंने एक कंपनी का निर्माण किया जिसका नाम रखा ‘किमालया नेचुरल प्राइवेट लिमिटेड’ और जिसका iAura(www.iaura.in) है।

इनका मुख्य उद्देश्य है पहाड़ की बंजर जमीन को फिर से हरा-भरा करना और पलायन की समस्या से लड़कर इस समस्या का समाधान निकालना। कुछ रिसर्च के बाद किमलया समूह ने बंजर होते हुए खेतों के पीछे का सच जाना। इन्होंने पाया कि बंजर होते खेतों के पीछे मुख्य वजह थी जंगली जानवरों द्वारा फसल बर्बाद कर देना और पहाड़ में पानी की कमी होना। तत्पश्चात इस समस्या के समाधान हेतु ये CIMAP (केंद्रीय औषधीय एवं सगन्ध पौधा संस्थान) पंतनगर के डायरेक्टर डॉक्टर आर. सी. पड़ालिया जी एवं अन्य कृषि वैज्ञानिकों से मिले। CIMAP से इनको जानकारी मिली कि सगन्ध और औषधीय पौधों को ना तो जानवर खाते हैं और ना ही इन पौधों को ज्यादा पानी चाहिए होता है। इसी जानकारी को इन्होंने अपने गाँव और आसपास के गांव में प्रसारित किया। जिसके फलस्वरूप आज करीब पचास से ज्यादा ग्रामवासी औषधीय एवं सगन्ध पौधों की खेती कर रहे हैं। ग्रामवासी अपने उत्पाद इनकी कंपनी को बेचते हैं जिससे किसानों को एक अच्छी आमदनी भी प्राप्त होती है जोकि किसानों के सामाजिक और आर्थिक पक्ष को और मजबूत बनाती है। किमालया कंपनी किसानों से औषधीय एवं सगन्ध पौधों के साथ परंपरागत कुमाऊं मंडल के स्थानीय उत्पाद जैसे की काले भट्ट, सफेद सोयाबीन, गहत, मेथी, मडुवा इत्यादि भी खरीदती है और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचाती है। किमालया के रूप में किसानों को एक नई मार्किट मिलने से काफी फायदा हुआ है। अब किसान भाई-बहन अपनी मेहनत की फसल को और भी अच्छे दामों पर बेच पा रहे हैं।

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ये कंपनी किसानों से प्राप्त औषधीय एवं सगन्ध पौधे जैसे की रोजमैरी, लेमनग्रास, तुलसी, कैमोमाइल इत्यादि का उपयोग इनकी अपनी हर्बल चाय के उत्पादन के लिए करती है। इनकी हर्बल चाय और अन्य खाद्य सामग्री www.iaura.in पर उपलब्ध है जहाँ से पहाड़ी जड़ी-बूटियों की चाय और पहाड़ी उत्पाद खरीदे जा सकते हैं। ये अमेजन और स्नैपडील पर भी अपने उत्पाद iAura ब्रांड के नाम से बेचते हैं।
अभी तक इन्होंने तीन अलग-अलग तरह की हर्बल चाय ऑनलाइन मार्किट में प्रस्तुत की है और जल्दी ही ये अपनी हर्बल चाय को ऑफलाइन मार्किट में भी उतार रहे हैं। इनकी हर्बल चाय की खास बात ये है कि इन्होंने ज्यादातर जड़ी-बूटियां अपने गांव और उसके आसपास के गांवों से एकत्रित की हैं। जैसे कि मधुमेह चाय में उपयोग होने वाला किलमोड़ा, बिच्छू घास, गुड़हल इत्यादि सब द्वाराहाट ब्लॉक (जिला अल्मोड़ा) के गांव के किसानों द्वारा एकत्रित की गई है। जो तीन हर्बल चाय है उन तीनों को इन्होंने तीन अलग उद्देश्य से बनाया है। पहली है मधुमेह चाय। रिसर्च के अनुसार इसमें पड़ने वाला किल्मोड़ा, बिच्छू घास और गुड़हल में मधुमेह से लड़ने वाले तत्व पाए जाते हैं। ऐसे ही इनकी दूसरी और तीसरी हर्बल चाय हैरू रोग प्रतिरोधक चाय एवं हिमालयन काढ़ा चाय। जैसाकि नाम से ही प्रतीत होता है कि एक चाय आपकी रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है तो दूसरा काढ़ा है जो सर्दी, जुकाम इत्यादि में आपको राहत देती है।

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Cimap द्वारा किमालया समूह को सगन्ध पौधों के तेल निकालने के लिए एक आसवन ईकाई प्राप्त हुई है। जिससे ये विभिन्न जंगली (चीड़ के पत्ते, सफेदा के पत्ते इत्यादि) एवं सगन्ध पौधों (रोजमैरी,लेमन ग्रास इत्यादि) के तेल निकालकर उससे शैम्पू, फेस क्रीम, कंडीशनर, हर्बल साबुन इत्यादि हर्बल उत्पादों का निर्माण करेंगे जिससे की और ज्यादा रोजगार उत्पन्न होगा। भूपेंद्र सिंह अधिकारी ने बताया कि फिलहाल इस कंपनी के फाउंडर मेंबर्स डॉक्टर कविता नेगी, भूपेंद्र नेगी, भूपेंद्र सिंह अधिकारी और कंचन सिंह कुवार्बी को मिलाकर कंपनी से दस लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। दस में सात महिलाएं हैं जो कि महिला सशक्तिकरण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। किमालया का उद्देश्य आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा रोजगार उत्पन्न करने का है ताकि उत्तराखंड के लोगों का और खासकर युवाओं का पलायन थोड़ा सा रूक सके।

हम समाचार सच के माध्यम से किमालया समूह और उनके किसानों की प्रगति और खुशहाली की आशा करते हैं और साथ में यह भी कहना चाहेंगे कि बंजर खेत और पलायन की समस्या के समाधान हेतु जो कदम इन्होंने बढ़ाया है उसमें सरकार का और आप सभी का यानी पूरे भारतवर्ष के सतजनों का सहयोग प्राप्त होगा। ज्ञात हो कि किमालया नेचुरल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को भारत एवं उत्तराखंड सरकार से स्टार्टअप का दर्जा अब प्राप्त हो चुका है।
प्रस्तुति: मोटिवेशनल स्पीकर कुलदीप सिंह

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