समाचार सच, देहरादून। नगर निगम में लॉकडाउन के दौरान सैनिटाइजर खरीद में लगे कथित गड़बड़ी के आरोपों पर माहौल गरमा गया। नगर निगम के विरुद्ध दुष्प्रचार करने का आरोप लगाकर सफाई कर्मचारी भड़क उठे व स्वास्थ्य अनुभाग में कामकाज ठप कर नगर आयुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। वहीं, कांग्रेस के पार्षदों द्वारा सैनिटाइजर खरीद की जांच की मांग लेकर धरना दिया गया। इस दौरान स्थिति टकराव की भी बनी रही। मेयर सुनील उनियाल गामा ने कांग्रेस के पार्षद व निगम में नेता प्रतिपक्ष डा. बिजेंद्र पाल सिंह को ही जांच की जिम्मेदारी सौंप दी। डा. पाल को यह अधिकार भी दे दिए गए कि वह अपनी मर्जी से जांच कमेटी में अधिकारी व पार्षदों को बतौर सदस्य रखने का निर्णय कर सकते हैं।
सूचना के अधिकार के तहत नगर निगम से ली जानकारी के आधार पर मीडिया के एक वर्ग ने सैनिटाइजर की खरीद में वित्तीय घोटाले का आरोप लगाकर खबर प्रकाशित की थी। इसमें जिक्र किया गया कि कोरोना के लॉकडाउन के दौरान नगर निगम ने 60 रुपये प्रति लीटर की दर पर दून के माजरा स्थित एक फर्म से सोडियम हाइपोक्लोराइट की खरीद की। आरोप है कि इसकी कीमत 12 रुपये प्रति लीटर थी। बाद में निगम की ओर से इस दर पर भी खरीद की गई। नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने इस संबंध में स्पष्ट किया था कि लॉकडाउन में परिवहन सेवा बंद होने व आपात स्थिति में स्थानीय बाजार से इसे 60 रुपये की दर पर खरीदा गया था, जबकि बाद में निगम ने कोटा से सिर्फ परिवहन शुल्क वहन कर मुफ्त में भी सैनिटाइजर लिया।
निगम का तर्क रखते हुए नगर आयुक्त ने बताया था कि दून निगम में ही नहीं बल्कि कोटद्वार नगर निगम, मसूरी पालिका व लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी समेत दर्जनों सरकारी संस्थानों ने 60 रुपये प्रति लीटर की दर पर ही आपात स्थिति में सोडियम हाइपोक्लोराइट को क्रय किया था। उस वक्त कीमत ज्यादा थी और बाद में सरकार ने कीमत कम कर दी थी। ऐसे में घोटाले का सवाल ही नहीं। घोटाला प्रकाशित करने वाले मीडिया संस्थानों को निगम की ओर से विधिक नोटिस भेजे गए, जबकि सफाई कर्मचारियों ने उक्त संस्थानों के विरुद्ध हड़ताल का ऐलान किया था।
सुबह अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ की नगर निगम दून शाखा के अध्यक्ष राजेश कुमार, सचिव धीरज भारती एवं नगर विकास कर्मचारी समिति अध्यक्ष नाम बहादुर के नेतृत्व में निगम कर्मचारियों का पारा चढ़ गया और स्वास्थ्य अनुभाग में काम ठप कर कर्मचारी नगर आयुक्त दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गए। कर्मचारियों ने संबंधित मीडिया संस्थानों पर कार्रवाई की मांग करते हुए नारेबाजी की। कर्मचारियों ने सफाई व्यवस्था ठप करने की चेतावनी तक दे डाली। वहीं, कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा के नेतृत्व में कांग्रेसी पार्षदों ने सैनिटाइजर खरीद में घपले के आरोप की जांच की मांग को लेकर नगर निगम परिसर में धरना दिया।
पार्षद डा. बिजेंद्र पाल सिंह ने आरोप लगाया कि ऐसी फर्म से सोडियम हाइपोक्लोराइट खरीदा गया, जो जीएसटी में पंजीकृत ही नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि फर्म एक पार्षद की है। महापौर सुनील उनियाल गामा वहां पहुंचे तो कांग्रेस ने मजिस्ट्रेटी जांच की मांग उठानी शुरू कर दी। हालांकि, महापौर और नगर आयुक्त ने इससे इनकार कर दिया और आरोप लगाने वाले पार्षद डा. बिजेंद्र पाल को ही प्रकरण का जांच अधिकारी नामित कर दिया। ऐसे में कांग्रेस के नेता भी असमंजस में पड़ गए और वे इस फैसले का विरोध भी नहीं कर सके। महापौर ने उन्हें प्रकरण से जुड़े सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए। इस दौरान पूर्व विधायक राजकुमार समेत कांग्रेसी पार्षद मौजूद रहे।


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