समाचार सच, हल्द्वानी (धीरज भट्ट)। उत्तराखण्ड में तमाम ऐतिहासिक इमारतें आजादी के नायकों के संघर्ष का गवाह रही है। या यू कहें की इन इमारतों से उनका घनिष्ठ संबंध रहा है। ऐसे ही एक इमारत अल्मोड़ा जेल का नाम प्रसिद्ध रहा है। यहां कभी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर खान अब्दुल गफ्फार खान तन्हाईयों में यहां अपना बहुमूल्य समय बिता चुके है।


गौरतलब है कि 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों को लगने लगा था कि यहां पर भी बंदियों को कैद में रखने के लिये स्थान की आवश्यकता पड़ेगी। इसलिये उन्होंने अल्मोड़ा में 1872 में एतिहासिक जेल का निर्माण शुरू किया। जेल के निर्माण के बाद यहां पर स्थानीय बंदियों के अलावा देश के प्रसिद्ध नेताओं को बंदी बनाकर रखा गया। इतिहासकार मानते हैं कि अंग्रेज बढ़े व महत्वपूर्ण नेताओं को तन्हाई में रखना चाहते थे। जिससे उनकी आवाज जनसाधारण तक आसानी तक न पहुंच पाये।
इस जेल में 476 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पट्टियों में अंकित है। कुमांऊ में स्थित यह देश की पुरानी और ऐतिहासिक जेल मानी जाती है। यहां पर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश के कई नामी ग्रामी नेता बंद रहे।
अल्मोड़ा जेल में बन्द रहने वाली शख्सियतें

जवाहर लाल नेहरू, खान अब्दुल गफ्फार खान, गोविन्द बल्लभ पंत, आचार्य नरेन्द्र देव, बद्रीदत्त पाण्डे, दुर्गा सिंह रावत, देवीदत्त पंत, विक्टर मोहन जोशी, सैय्यद अली जहीर।
दो बार बंद रहे चुके हैं नेहरू

अल्मोड़ा जेल में जवाहरलाल नेहरू दो बार जेल में बंद रहे। पहली बार वे 28 अक्टूबर 1934 से 3 सितम्बर 1935 और दूसरी बार वे 10 जून 1945 से 15 जून 1945 तक बंद रहे। इस जेल में उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया के कुछ अंश भी लिखे। जेल में नेहरू द्वारा प्रयोग किये गये कुछ सामान आज भी देखे जा सकते है।


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