समाचार सच, हल्द्वानी। महानगर हल्द्वानी में स्कूलों की भरमार सी आ गई है। इनमें से कुछ विद्यालयों ने बच्चों को आधुनिक, नैतिक व बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उल्लेखनीय कार्य किये जिनमें लामाचौड़ स्थित आर्डेन प्रोग्रेसिव स्कूल (एपीएस) का नाम प्रमुख स्कूलों में शुमार किया जाता है। इसी का परिणाम है कि आज हल्द्वानी में एपीएस स्कूल किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
एक्सीलेंस इज द जर्नी, डिसीप्लेन इज द वैहिकल का आदर्श को आत्मसात करने व बच्चों को राष्ट्रनिर्माण की शिक्षा देने के लिए हल्द्वानी में 2015 में एपीएस लामाचौड़ का बीजारोपण किया गया जो आज वटवृक्ष का रूप ले चुका है। अपने दस सालों के सोपान में विद्यालय ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं और आने वाले समय में में भी स्कूल उत्तरोतर प्रगति की राह पर है। विद्यालय प्रबंधन की कड़ी मेहनत व शिक्षा के प्रति अगाध आस्था का ही परिणाम है कि आज हल्द्वानी ही नहीं वरन आसपास के शहरों में भी एपीएस का नाम प्रमुखता से शुमार होता है।
विद्यालय में हाईस्कूल व इंटर में हर साल बच्चों का रिजलट शत प्रतिशत रहता है। साथ ही स्कूल के बच्चे नीट और इंजीनियरिंग परीक्षा में भी अपना परचम लहरा रहे हैं। इसके साथ ही अन्य परीक्षाओं में भी विद्यालय के बच्चे अव्वल रहकर विद्यालय के साथ अपने परिजनों का नाम भी रोशन कर रहे हैं। बच्चों में पर्यावरण की जानकारी के लिए पौधारोपण कराया जाता है। अभी तक विद्यालय में 4000 से अधिक हरे पौधो का रोपण किया गया है, जो कि अब वृक्षों का रूप लेने लगे हैं। एपीएस में तीन बड़े हरे भरे ग्राउंड, तरण ताल, तीन प्रार्थना स्थल, तीन शैक्षणिक भवन, तीन बड़े खेल के मैदान के मााथ ही जीव, रसायन, भौतिकी और गणित की सुसज्जित लैब है।
विद्यालय के प्रमुख ट्रस्टी भुवन उपाध्याय के अनुसार एपीएस का उद्देश्य रटी-स्टाई शिक्षा देना नहीं बल्कि शिक्षा, ज्ञान, संस्कार और सामाजिक सरोकारों को बच्चों के हृदय में आत्मसात करना है, जिससे वह अपने अभिभावकों के सपनों को साकार कर प्रदेश और देश की धरोहर बन सके। सामाजिक सरोकारों के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में एपीएस के बच्चों ने लगातार सफलता के झंडे गाड़ते आ रहा हैं। आज के परिपेक्ष्य में अभिभावकों की इच्छा रहती है कि शिक्षा के साथ उनका बच्चा संस्कारी तथा आधुनिक समाज के ताने-बाने को समझने में भी सक्षम हो। इसीलिए अभिभावकों की नजर ऐसी विद्यालयों पर नजर रहती है जो इन मापदंडों पर खरा उतरता हो।
प्रबंधन के अनुसार ऐसा वातावरण में एपीएस में विकसित किया गया है, जहां नर्सरी से लेकर 12वीं तक सभी बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए गतिविधियां कराई जाती हैं। बच्चों को स्कूली ज्ञान के साथ उन्हें अपने तीज त्योहारों के प्रति भी जागरूक करने के लिए इसके लिए विद्यालय में स्थानीय और राष्ट्रीय त्योहार मनाए जाते हैं। बच्चों को त्यौहारों के प्रति क्यों मनाए जाते हैं तथा समाज के लोग इन त्योहारों से क्या सीख लेते हैं। इस दौरान बच्चों की भागीदारी कराई जाती है। यहां हरेला, बसंत पंचमी, लोहड़ी, रक्षाबंधन, मकर संक्रांति, होली तथा राष्ट्रीय त्योहार में दीपावली, दशहरा, स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस मनाए जाते हैं। त्योहारों में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उनसे भागीदारी कराई जाती है। विद्यालय को सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने के लिए विद्यालय को कई संगठनों द्वारा पुरस्कृत किया गया है।
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