संगठित रहो, प्रतिरोध करो अभियान के समापन पर ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने प्रदर्शन कर निकाली रैली
समाचार सच, हल्द्वानी। 9 अगस्त से 26 अगस्त तक चले ‘संगठित रहो, प्रतिरोध करो’ अभियान के समापन पर ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन द्वारा प्रदर्शन कर रैली निकाली गयी। महिला चिकित्सालय के सामने से उपजिलाधिकारी कार्यालय तक रैली निकालकर प्रदर्शन किया गया। आज का धरना प्रदर्शन आशाओं द्वारा पूरे राज्य में किया गया। कुमाऊँ मंडल के नैनीताल, भीमताल, धारी, ओखलकांडा, रामगढ़, बेतालघाट, हल्द्वानी, रुद्रपुर, काशीपुर, बाजपुर, जसपुर, खटीमा, गदरपुर, टनकपुर, लोहाघाट, पाटी, बाराकोट, चम्पावत, पिथौरागढ़, डीडीहाट, बेरीनाग, गंगोलीहाट, मुनस्यारी, धारचूला, कनालीछीना, मूनाकोट, बागेश्वर, कपकोट, अल्मोड़ा, द्वाराहाट, हवालबाग, रानीखेत, ताड़ीखेत, सल्ट, भिकियासैंण, स्याल्दे आदि स्थानों में आशाओं ने जोरदार प्रदर्शन किया।
हल्द्वानी में हुए प्रदर्शन को संबोधित करते हुए उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने कहा कि, आशाएं स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुकी हैं। स्वास्थ्य विभाग व सरकार के तमाम अभियान व सर्वे आशाओं के दम पर ही संचालित हो रहे हैं। आशा वर्कर्स का कार्य आकस्मिक सेवा की भांति है, रात बारह-एक-दो बजे जब भी गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होती है आशाओं को तत्काल दौड़ना होता है। पर इस सब के बावजूद न तो आशा वर्कर्स को कर्मचारी का दर्जा प्राप्त है और न ही उन्हें न्यूनतम मासिक वेतन मिल रहा है। यह घोर अन्याय और महिला श्रम का शोषण नहीं तो और क्या है।
उन्होंने कहा कि आशाओं की नियुक्ति मातृ शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए की गई थी। और सरकारी रिपोर्ट्स इस बात की गवाह हैं कि आशाएँ अपने काम में सफल रही हैं, परन्तु इसका इनाम उनपर काम का बोझ लादकर दिया गया है। मासिक वेतन देने के नाम पर सरकार हाथ खड़े कर देती है, जबकि आंध्र प्रदेश की सरकार ने वहाँ की आशाओं को राज्य मद से दस हजार रुपए मासिक मानदेय देने का फैसला किया है. इसी तरह उत्तराखंड सरकार को भी दस हजार रूपये प्रतिमाह राज्य मद से आशाओं को देने की घोषणा करनी चाहिये।
प्रदेश महामंत्री डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि मासिक वेतन मांग रही आशाओं को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि भी सरकार ने बंद कर दी है। जबकि लोकसभा चुनाव से पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री ने स्वयं आशाओं को मिलने वाली वार्षिक प्रोत्साहन राशि को पांच हजार से बढ़ा कर सत्रह हजार करने की घोषणा की थी। परन्तु अब चुनाव के बाद सरकार ने वार्षिक प्रोत्साहन राशि बंद करने की घोषणा कर दी। यह आशाओं के साथ सरासर वादाखिलाफी है।
उन्होंने कहा कि आशाओं को सरकार न तो राज्य कर्मचारी का दर्जा दे रही है न ही वेतनमान तब वार्षिक प्रोत्साहन राशि को बंद करने का औचित्य समझ से परे है। एक तो काम का बोझ और कोई मासिक वेतन नहीं उसपर अपमानजनक व्यवहार यह बिलकुल भी स्वीकार्य नहीं है, सरकार को इस पर रोक लगानी होगी।
यूनियन “संगठित रहो, प्रतिरोध करो” अभियान जिसका समापन के साथ सभी जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर प्रदर्शन के साथ फिर से अपनी 9 सूत्रीय मांगों से सम्बंधित ज्ञापन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भेजा गया। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इसके पश्चात भी मांगे न मानी गई या न्यायसंगत समाधान नहीं किया गया तो आन्दोलन को तेज़ करते हुए अगले चरण में ले जाया जायेगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
प्रदर्शन रैली में मुख्य तौर पर सरोज रावत, रीना बाला, रिंकी जोशी, प्रीति रावत,भगवती बिष्ट, शांति शर्मा, उमा दरमवाल, बीना उपाध्याय, मीना मटियानी,मनीषा आर्य, ममता आर्य,हंसी बेलवाल, गीता थापा, स्वाति, रश्मि,जीवंती, अंजना, रेखा बुधानी, सावित्री भंडारी,माया टंडन,नसरत, सहाना, चंद्रकला अधिकारी, मंजू, मोहिनी बृजवासी, कमलेश बोरा, कंचन अरोड़ा, रुखसाना बेगम, गंगा आर्य, मंजू रावत, नीमा देवी, मनीषा आर्य, दीपा आर्य, मीनू,गीता, माया साह, आनंदी कुल्यालपुरा,रेशमा, शांति नेगी, हेमा पाण्डे, रेणु, प्रभा चौधरी, अनिता देवल, पुष्पलता, मिथिलेश शर्मा, दीपा जोशी, पूनम बोरा,गंगा तिवारी,रेनू घुघतयाल,अनिता सक्सेना, मीना केसरवानी, भगवती,गीता जोशी,शहनाज,यशोदा, प्रियंका, तबस्सुम, ज्योति रावत, रेनू सिन्हा, चम्पा परिहार, चंद्रेश, गोबिन्दी लटवाल, आदि बड़ी संख्या में आशा वर्कर्स मौजूद रही।
उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजे नौ सूत्रीय मांगपत्र में आशाओं की यह है मांग
1- आंध्र प्रदेश की सरकार की भांति उत्तराखंड सरकार भी दस हजार रूपये प्रतिमाह राज्य मद से आशाओं को देने की घोषणा करे.
2- आशाओं को दी जाने वाली वार्षिक प्रोत्साहन राशि को पूर्व की भांति आशाओं को दिया जाय.
3- आशाओं को रिटायरमेंट के बाद पेंशन का प्रावधान किया जाय तथा वर्तमान में रिटायर होने वाली आशाओं को न्यूनतम घ्500000 (पाँच लाख) धनराशि देने की व्यवस्था की जाय.
4- मासिक मानदेय 2000 रूपये देने की घोषणा संबंधी राज्य सरकार के शासनादेश के अनुरूप पैसा आशाओं के खाते में तत्काल डाला जाय.
5- आशाओं की विभिन्न मदों की बकाया राशि का तत्काल भुगतान किया जाय।
6- सभी सरकारी अस्पतालों में महिला व बाल रोग विशेषज्ञ, सर्जन की नियुक्ति की जाय, जिससे मातृ-शिशु सुरक्षा सुनिश्चित हो सके तथा जनता को स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के लिए प्राइवेट अस्पतालों में न भटकना पड़े. साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड व ब्लड टेस्ट की अनिवार्य व्यवस्था की जाय. जिससे अल्ट्रासाउंड व ब्लड टेस्ट के लिए आम लोगों और गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना न करना पड़े।
7- अस्पतालों में आशा वर्कर्स के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाय, इसके लिए राज्य सरकार की ओर से आदेश जारी कर सभी अस्पतालों में भेजा जाय।
8- सभी सरकारी अस्पतालों में आशा घरों का निर्माण किया जाय. जहाँ-जहाँ आशा घर बन गए हैं उन्हें रात बिरात गर्भवती महिलाओं को लेकर आने वाली आशाओं के विश्राम हेतु खोला जाय व आशा घरों की समुचित सफाई की व्यवस्था की जाय.
9- सभी आशाओं की ट्रेनिंग स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही करायी जाय तथा ट्रेनिंग के दौरान पहले 350 रुपये प्रतिदिन का भुगतान आशाओं को दिया जाता था । अब 150 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है इसको पुनः रू. 350 किया जाय।
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