ज्योतिष और आयुर्वेद के उपाय वायरल रोगों से बचें, आजमाकर देखें

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समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। इसे लेकर जहां सोशल डिस्टेंस से लेकर लॉकडाउन तक की स्थिति बनी हुई है। वहीं इससे बचाव को लेकर अभी कोई दवा या इसके टीके की खोज नहीं हो सकी है। वहीं केवल बचाव को ही अब तक इस बीमारी का इलाज माना जा रहा है।

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वहीं दूसरी ओर हिंदू धर्म के चार वेदों में एक वेद अथर्ववेद से आयुर्वेद का जन्म हुआ माना जाता है। आयुर्वेद में कई प्रकार की जड़ी बूटियों और मंत्रों का जिक्र किया गया हैए जिनके संबंध में मान्यता है कि यदि इन्हें सदाचार के साथ प्रयोग करें तो कई गंभीर रोगों पर भी काबू पाया जा सकता है।

हां, वर्तमान महामारी कोरोना को लेकर ठीक इसी नाम से तो आयुर्वेद में कोई सीधे तौर पर दवा नहीं बताई गई है। लेकिन कुछ जानकारों की मानें तो इन दिनों कोरोना भी एक वारयल रोग ही है, ऐसे में वायरल रोगों को लेकर आयुर्वेद में कई उपाय बताए गए हैं। जिनके उपयोग से कुछ हद तक लाभ मिलने की संभावना है।

वायरल रोग के संबंध में जानकारों का कहना है कि आयुर्वेद के साथ ही ज्योतिष में भी इन रोगों को भी नियंत्रित करने के कुछ उपाय बताए गए हैं। जानकारों के अनुसार इन ज्योतिष व आयुर्वेद के उपायों से आपका घर रोगाणु और विषाणुओं से मुक्त रहने की संभावना बढ़ जाती है और सकारात्मक ऊर्जा आपको स्वस्थ रखने में भी मदद करती है।

वहीं ज्योतिष के जानकारों से लेकर आयुर्वेदिक के जानकारों तक का ये भी कहना है कि भले ही आप इस ज्योतिष व आयुर्वेद के उपायों को अजमाएंएजिससे आशा है आपको लाभ मिलेगा हीए लेकिन सोशल डिस्टेंस सहित सरकार की ओर से जारी किए जा रहे दिशा निर्देशों का भी अवश्य ही पालन करें।

आयुर्वेद व ज्योतिष – ये हैं उपाय

पूर
धर्म ग्रंथों में कपूर को बहुत ही शुद्ध माना गया है। भले ही आजकल कपूर को केमिकल से भी बनाया जाने लगा है, लेकिन आयुर्वेद मे प्रकृति में असली कपूर वृक्ष से प्राप्त कपूर को ही शुद्ध माना गया है।

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वहीं ज्योतिषशास्त्र में कपूर को शुक्र ग्रह से संबंधित माना गया है। वहीं ज्योतिष में ही राहु, केतु, शनि इन तीनों ग्रहों को क्रूर मानते हुए, इन तीनों का संबंध रहस्यमयी रोगों और विषाणु जनित रोगों के संचार से माना गया है। ऐसे में मान्यता है कि इन तीनों ग्रहों के कई दुष्प्रभाव कपूर से शांत रहते हैं। शुक्र को ग्रंथों में राहु केतु का गुरु कहा गया है। इसलिए जहां शुक्र प्रबल हो जाता है। वहां केतु और राहु का बल कम हो जाता है।

वहीं दूसरी ओर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि के साथ भी शुक्र का अच्छा तालमेल रहता है। आर्युवेद और ज्योतिष के अनुसार जिन घरों में नियमित दो से तीन बार कपूर का धुआं किया जाता हैए वहां रोगाणु शांत यानी उनका प्रभाव कम रहता है। मान्यता के अनुसार कपूर का धुआं शरीर में लगने से और इसका धुआं जहां तक जाता है वहां तक का वातावरण शुद्ध रहता है।

लोबान
ज्योतिष के अनुसार वायरल रोगों के मुख्य कारक ज्योतिष में राहुए केतु और शनि हैं। इनमें शनि जनता का कारक है। और यहीं रोग के संचार का कारण होता है। वहीं इस तरह के रोगों का जन्म और इसको घातक बनाना राहु-केतु का काम होता है।
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इन ग्रहों की शांति के लिए और अपने घरों में इसके प्रवेश को रोकने के लिए नियमित लोबान का धुआं भी किया जा सकता है।
वहीं आयुर्वेद में भी लोबान को कई रोगों का शमन करने वाला और रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने वाला कहा गया है। दैवीय शक्तियों को जगाने के लिए तंत्र-मंत्र में इसका सदियों से प्रयोग होता चला आ रहा है।

जटामांसी
वहीं कुछ ज्योतिष वायरल रोगों को प्राकृतिक आपदा मानते हुए इसका संबंध मंगल से मानते हैं। वहीं इस समय भी मंगल और शनि की स्थिति कुछ इसी तरह की बनी हुई है जो शुभ फलदायी नहीं है।
ज्योतिष में माना जाता है कि मंगल के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए जटामांसी को लोबान के साथ जलाना अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करने वाला हो सकता है।
वहीं आयुर्वेद में भी जटामांसी को रोगप्रतिरोधी क्षमताओं को बढाने वाला रोगाणुओं का नाशक और हृदय, मस्तिष्क जनित रोग सहित कई अन्य रोगों को दूर करने वाला बताया गया है।

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लहसुन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लहसुन और प्याज का सेवन व्रत त्योहार में नहीं करना चाहिए। इसके पीछे वजह यह है कि इनका संबंध राहु और केतु से माना गया है। वहीं नियमित लहसुन का सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमताओं की वृद्धि होती है। इसके सेवन से रोग जल्दी प्रभावित नहीं करते हैं।
यह आपके बच्चे को छोटी माता के निशानों से और उससे होने वाली खुजली की समस्या से आराम देगा क्योंकि नीम एक ऐसी प्राकृतिक दवा है जिसमें जीवाणु व कीटाणु रोधक के गुण पाए जाते हैं।

यात्रा में उल्टी आने पर नींबू
यदि आपका बच्चा हर समय कमजोरी महसूस करता है या फिर आपको लंबी यात्रा के लिए जाना है, ऐसी स्थिति में दादी या नानी माँ आपको कुछ नींबू का जूस लेने के लिए कहेंगी क्योंकि नींबू का रस मुहं की लार को बढ़ाता है जिससे आपके बच्चे में मोशन सिकनेस की कमजोरी दूर हो जाती है और वह अपने आपको तरोताजा और सही पाता है।

नोटः हालांकि यह अवश्य ध्यान रखें कि घरेलू नुस्खे केवल बीमारी के लक्षणों दिखते समय या छोटी मोटी बिमारियों में ही कारगर होते हैं। अगर इन घरेलू नुस्खों के बाद बच्चे की समस्या बढ़ जाए तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। किसी भी नुस्खे पर गौर करने से पहले ध्यान रखें कि छह माह से पहले बच्चे को कोई भी चीज नहीं देनी चाहिए।

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