
By tying kalava one gets protection from the crisis coming in life.
समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। कोई भी धार्मिक कार्य हो या फिर कोई शुभ अवसर कलावा बांधना शुभ होता है। माना जाता है कि कलाई पर इसे बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हाथ में कलावा बांधने से तीनों महादेवियों महालक्ष्मी, मां सरस्वती, मां काली की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को हर संकटों से छुटकारा मिलता है। इसलिए कलावा या मौली को बंधवाते और उतारे समय कुछ नियम होते हैं, जिनके अनुसार ही कलावा बांधना और बदलना चाहिए। क्या हैं वो नियम, चलिए जानते हैं।
कब बदलें कलावा
अगर आपको कलावे को उतारना है तो मंगलवार और शनिवार को ही यह काम करें। इसी दिन आप कलावा बदल भी कर सकते हैं। इसके अलावा किसी भी दिन न तो कलावा उतारें न बदलें।
कलावे को कैसे बंधवाएं
जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों उसकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए। कलावा को सिर्फ तीन बार ही लपेटना चाहिए। कलावे को फेंके नहीं इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी पुराने कलावे को फेंके नहीं बल्कि इसे किसी पीपल के पेड़ के नीचे डाल देना चाहिए।
किस हाथ में बांधा जाता है कलावा
कलावा बांधने का भी नियम है। अगर महिला अविवाहित है तो उसे हमेशा सीधे यानी दाएं हाथ में कलावा बांधा जाता है। अगर वह विवाहित है तो उसे बाएं यानी उल्टे हाथ में कलावा बांधा जाता है। वहीं पुरुषों के साथ उल्टा होता है। उनको दाएं हाथ पर कलावा बंधा जाता है।
जानें कितने तरह के होते हैं कलावा
यह जानना बहुत जरूरी है कि कलावा कितने प्रकार के होते हैं आपको बता दें कि कलावा दो प्रकार के होते हैं.एक तीन धागों वाला दूसरा 5 धागों वाला। तीन धागे वाले कलावे की बात करें तो ये तीन रंग लाल, पीला और हरे रंग में होता है। इसको तीन शक्तियों यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक के तौर पर हाथों में बांधा जाता है। वहीं अगर पांच धागों वाले कलावे की बात करें तो यह लाल, पीला, हरा सफेद और नीले रंग का होता है। यह पंचदेवों का प्रतीक होता है।
कलावा बांधने का वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक दृष्टि से कलावा बांधना स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है। शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण कलाई में होता है। कलाई में मौली बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। साथ ही अगर कोई बीमारी है तो वह भी नहीं बढ़ती है। साथ ही कलावा बांधने से त्रिदोष-वात, पित्त और कफ का शरीर में सामंजस्य बना रहता है। सिर्फ इतना ही नहीं ब्ल्ड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिए भी कलावा या मौली बांधना अच्छा होता है।






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