बदन दर्द के कारण और उपचार

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समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क।अगर आप प्रचंड बदन दर्द से ग्रस्त हैं तो इनके कारणों के बारे में जानना आपके लिए बहुत ज़रूरी हैं ताकि आप इस बीमारी का सही तरह से इलाज करा सके और दर्द से निजात पा सके। बदन दर्द की समस्या को साधारणतः लोग नजर अंदाज ही कर देते हैं क्योंकि इसको सभी सामान्य बीमारी मानते हैं। लेकिन पू्रे शरीर में दर्द को सहना बहुत मुश्किल होता है। सामान्य तौर पर बदन दर्द कई प्रकार के होते हैं-
सर दर्द-
-गर्दन में दर्द
-पीठ में दर्द
-मांसपेशियों में दर्द
जोड़ो में दर्द
तंत्रिकाविकृतिय दर्द
जब तंत्रिका तंत्र अच्छी तरह से काम नहीं कर पाता है तब बदन में दर्द होना शुरू हो जाता है। इसलिए इस तरह के दर्द से राहत पाने के लिए डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी होता है। बहुत कम लोगों को ही मालूम है कि बदन में दर्द होता क्यों है, इसलिए चिकित्सा के साथ-साथ बदन दर्द के कारणों के बारे में भी जानना ज़रूरी होता है-
जब बदन में हर समय दर्द हो रहा है तब क्या इस पर ध्यान देना ज़रूरी होता है?
बिल्कुल, इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कभी-कभी बुखार या फ्लू (सिन) के दौरान मांसपेशियों (उनेबसमे) और जोड़ों में बहुत दर्द होता है। लेकिन दर्द के साथ दूसरे लक्षण भी नजर आ सकते हैं, जैसे-
-बुखार
-जोड़ों में दर्द
-दर्द के कारण नींद न आना
-कमजोरी के कारण बीमार जैसा महसूस करना
अब उन रोगों के बारे में चर्चा की जाएगी जिनके कारण बदन में दर्द होता है-
फाइब्रोमायोजिया
इस रोग के कारण पूरे शरीर में दर्द होने के साथ-साथ, थकान और सोने में परेशानी होती है जो रोगी को हमेशा अस्वस्थ-सा महसूस कराता है। इस लक्षणों के अलावा भी दूसरे लक्षण हैं-
-सूजन
-मांसपेशियों में अकड़न
-अवसाद
-तनाव
-पेट में गड़बड़ी
-बार-बार मनोभाव में बदलाव
-माइग्रेन
-जबड़ा या चेहरे के मांसपेशियों में समस्या
-मूत्राशय में दर्द
-प्रोस्टेट ग्रंथि और पेल्विक में दर्द
अगर आपको इन सब लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है तो डॉक्टर के पास जाना बुद्धिमानी का काम होगा।
उपचार –
डॉक्टर से सलाह लेने पर वे दर्द को कम करने वाली दवाईयाँ देगें। इसके अलावा अगर आप व्यायाम, संतुलित आहार, तनाव को कम करने वाले मालिश, योगासन आदि का सहारा लेंगे तो आपको इस दर्द से आसानी से राहत मिल जाएगी।

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क्रोनिक थकान सिंड्रोम
इसके लक्षण भी आम बदन दर्द जैसे ही होते हैं। जब किसी को ज़रूरत से ज़्यादा थकान हो जाता है तब इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं। लेकिन सबसे मुश्किल की बात यह है कि आराम करने पर भी इसके लक्षणों से राहत मिलना मुश्किल हो जाता है। इसलिए डॉक्टर से तुरन्त सलाह लेना ज़रूरी होता है।
लाइम बीमारी
लाइम बीमारी ब्रोरेलिया बर्गडोरफेरी (ठवततमसपं इनतहकवतमितप ) जीवाणु के कारण होता है, जो टिक (इसंबासमहहमक जपबा) के काटने के कारण होता है। अगर आपको निम्न लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरन्त उपचार की ज़रूरत है-
-बहुत थकान
-सर में बहुत दर्द
-मांसपेशी और हड्डी दोनों में प्रचंड दर्द
-जोड़ों में दर्द और अकड़न
-एकाग्रता में कमी
-यादाश्त में कमी
-अच्छी तरह से नींद न आना आदि
उपचार –
एन्टीबायोटिक दवा के द्वारा इसके लक्षणों से राहत मिल जाती हैं। लेकिन स्थिति बहुत खराब हो जाने पर हृदय के धड़कन में अनियमितता, मस्तिष्क के कार्य-कलाप और तंत्रिका-तंत्र में भी समस्या उत्पन्न हो जाती है। इन सब लक्षणों के अलावा भी अगर आपकी आंखे बहुत लाल हो गई हैं तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाये क्योंकि घास में चलने के कारण आपको टिक ने संभवतः काटा है, इसलिए ये लक्षण नजर आ रहे हैं।
तनाव
तनाव के कारण भी आपको शरीर में लगातार दर्द का अनुभव हो सकता है। कुछ लक्षण इस प्रकार हैं-
-सरदर्द
-मांसपेशियों में दर्द
-सीने में दर्द
-थकान
-नींद में समस्या
-पेट में गड़बड़ी
उपचार –
अगर आपको पता चल रहा है कि यह सब तनाव के कारण हैं तो तनाव से राहत पाने के जल्द से जल्द उपाय करें। फिर भी यदि आप लक्षणों को कम नहीं कर पा रहें हैं तो डॉक्टर से सलाह लें।
विटामिन डी की कमी
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि विटामिन डी की कमी से भी बदन में दर्द होता है। आजकल काम में व्यस्तता में लोग सूर्य के किरणों से संपर्क में कम आते हैं जिसके कारण उनमें विटामिन डी की कमी हो जाती है। अमेरिकन जरनल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन के अध्ययन के अनुसार शरीर में विटामिन डी की कमी होने के कारण शरीर खाने में से कैल्सियम को 10 प्रतिशत ही सोख पाता है। कैल्सियम हड्डियों को सख्त और स्वास्थ्यवर्द्धक बनाने के लिए ज़रूरी होता है, जो विटामिन डी की कमी के कारण संभव नहीं हो पाता है। परिणाम स्वरूप बदन में दर्द जैसे समस्याओं से जुझना पड़ जाता है। विटामिन डी के कमी से जो लक्षण नजर आते हैं वे हैं-
-हमेशा थकान महसूस होना
-हड्डियों में दर्द
-कमजोरी
-चोट लगने पर हड्डियों के टूटने का कारण
उपचार –
विटामिन डी के सप्लीमेट्स और संतुलित आहार के सेवन से इसके कमी को पूरा किया जा सकता है।
रक्त में आयरन की कमी

रक्त में आयरन की कमी को एनीमिया कहते हैं। जब रक्त में आयरन की कमी हो जाती है तब शरीर को इस अवस्था का सामना करना पड़ता हैं। इसके कमी से शरीर को ऑक्सीजन और पौष्टिकता की प्राप्ति कम हो पाती है जिसके कारण शरीर को थकान और दर्द का अनुभव होता है। दूसरे लक्षणों में-
-मांसपेशियों में दर्द
-बेजान त्वचा और नाखून
-मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव ज्यादा होना
-चिड़चिड़ापन
-असहनशीलता आदि
उपचार:
डॉक्टर के सलाहानुसार आयरन वाले दवाईयों और सिरप का सेवन करने से इसके कमी को पूरा किया जा सकता है। दवाईयों के अलावा स्वस्थ जीवनशैली और आयरनयुक्त खाद्दपदार्थ का सेवन करने से भी आयरन को कमी को कम किया जा सकता है।
मल्टीपल स्क्लेरोसीस
इस अवस्था में सबसे ज़्यादा मेरूदण्ड और मस्तिष्क प्रभावित होते हैं। इससे तंत्रिका और मस्तिष्क प्रभावित होने के कारण लोगों को हर वक्त दर्द का अनुभव होता है। इसके अलावा दूसरे लक्षण जो नजर आते हैं, वे हैं-
-कमजोरी
-अचानक झनझनाहट जैसे दर्द का अनुभव
-सन्न हो जाना
-साफ नजर न आना
-मांसपेशियों में अकड़न
-मूत्र में समस्या आदि
उपचार –
अगर इसका उपचार समय पर नहीं किया गया तो अवस्था और भी गंभीर हो सकती है।
आस्टीओआर्थ्राइटिस
इस तरह के गठिया संबंधी रोग में दो हड्डियों के बीच में उपास्थि की मात्रा कम हो जाती हैं जिसके कारण हड्डियों के घर्षण से दर्द का अनुभव होता है। जिसके कारण बदन में प्रचंड दर्द का सामना करना पड़ता है। दूसरे लक्षणों में-
-जोड़ो में अकड़न और सूजन
-पीठ, नितंब और हाथ में दर्द
-सुबह और ज्यादा काम करने के कारण प्रचंड दर्द का अनुभव
नर्व डैमेज
इस बीमारी के कारण तंत्रिका को बहुत क्षति पहुँचती है, जिसके कारण पूरे शरीर में बहुत दर्द होता है। इसके अलावा-
-मांसपेशियों में दर्द
-झनझनाहट जैसे दर्द का अनुभव
-मांसपेशियों में ऐंठन आदि
दूसरे विकार या बीमारियाँ
-लूपस
-संधिवात गठिया
-पेट में जलन
-बुखार
-तपेदिक
-कैंसर
शरीर के जिस अंग में दुर्घटना के कारण चोट पहुँचा हैं वहाँ जाड़े में या ठंड में दर्द बढ़ता है उम्र के साथ दर्द बढ़ता है आदि
डॉ. आशिष गोयल ( डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसन, एम्स, न्यू दिल्ली) का कहना है कि अगर तपेदिक और कैंसर का इलाज करने के छह से आठ हफ़्तों में कोई विशेष सुधार नजर नहीं आता हैं तो अवस्था और भी बिगड़ सकती है और मृत्यु का कारण भी बन सकती है। इसलिए बदन दर्द के लक्षणों को नजरअंदाज न करें और तुरन्त चिकित्सक से सही सलाह लेकर इलाज करना शुरू करें।

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