उत्तराखंड में सीबीआई की उद्यान घोटाले के आरोपियों पर कार्रवाई, कैश और एफडी जब्त

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समाचार सच, देहरादून (एजेन्सी)। उद्यान घोटाले में विभाग के पूर्व निदेशक एचएस बवेजा समेत 16 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद सीबीआई ने उनकी संपत्ति की जांच करनी शुरू कर दी है। सीबीआई ने एक आरोपी तत्कालीन उद्यान निरीक्षक देहरादून नारायण सिंह बिष्ट के घर से साढ़े 13 लाख रुपए नकद और उसकी पत्नी के नाम पर की गई पांच-पांच लाख रुपए की 7 एफडी बरामद की है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से भी मुकदमे में शामिल आरोपियों के घर से 13 लाख रुपए बरामद किए हैं।

बता दें कि सीबीआई ने उद्यान घोटाले में अभी तक कार्रवाई में उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश, हिमाचल और जम्मू कश्मीर में 24 स्थानों पर तलाशी ली है। तीन मुकदमों में 15 नामजद और तीन अज्ञात को आरोपी बनाया गया है। सीबीआई को तलाशी में कई महत्वपूर्ण सबूत हाथ लगे हैं. जिसमें उत्तराखंड में देहरादून, नैनीताल, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जिलों में फलों के पौधों की खरीद में भारी अनियमितता मिली है। इसके आधार पर उद्यान विभाग के तत्कालीन निदेशक एचएस बवेजा समेत कई अधिकारियों से सीबीआई ने पूछताछ की है।

सीबीआई जांच में यह भी सामने आया है कि सेब के पौधे सप्लाई करने के लिए कई नर्सरी ने अपने-अपने प्रस्ताव विभाग को दिए थे। इनमें से पिथौरागढ़ की पाला नर्सरी ने 300 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से सप्लाई का प्रस्ताव विभाग को दिया था. लेकिन पूर्व निदेशक ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और अपने एक दोस्त विनोद शर्मा की विनोद सीड्स नाम की नर्सरी को पैनल में शामिल कर लिया. जबकि विनोद सीड्स के पास ऐसा कोई अनुभव ही नहीं था और न ही उसके पास कोई फलदार पौधे की नर्सरी थी. विनोद सीड्स की ओर से कुल 69 हजार 960 सेब के पौधों की सप्लाई की गई। इसके लिए उसे एक करोड़ 67 लाख रुपए का भुगतान किया गया।

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पिथौरागढ़ की इस नर्सरी को पैनल में शामिल करने के लिए तत्कालीन सीएचओ पिथौरागढ़ त्रिलोकी राय ने भी पूर्व निदेशक का साथ दिया और यह पौधे 480 रुपए की दर से खरीदे गए। मामला सीबीआई के पास पहुंचा है तो पता चला कि विनोद सीड्स ने यह पौधे पाला नर्सरी से खरीद कर ही सप्लाई किए थे। विनोद सीड्स के पास खरीद फरोख्त का लाइसेंस नहीं था और उसने यह पौधे पाला सीड्स से अंजान ट्रेडर्स के माध्यम से खरीदे थे. जबकि पाला नर्सरी के पास पहले से ही फलदार पौधों की सप्लाई का अनुभव था। बावजूद इसके पाला नर्सरी को दरकिनार करते हुए लगभग डेढ़ गुना अधिक दाम में सेब के पौधों की खरीद हुई थी।

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सीबीआई ने जांच में पाया कि जो पौधे विनोद शर्मा ने सप्लाई किए थे, उनमें से अधिकतर डिलीवरी के समय ही मर गई थे। इसकी पिथौरागढ़ सीएचओ त्रिलोकी राय को सेपलिंग करनी थी। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया था। जांच में यह भी सामने आया है कि यह सब पौधे सर्दियों के अंत में सप्लाई किए गए थे जबकि यह समय सेब के पौधों के लिए अनुकूल नहीं है। यही कारण था कि ज्यादातर पौधे रोपित होने के तत्काल बाद ही मर गए। त्रिलोकी राय ने न तो पौधारोपण की जियो टैगिंग की ओर न ही वीडियोग्राफी की. यही नहीं, विनोद शर्मा ने जिन पौधों को सप्लाई किया था, वह निम्न गुणवत्ता वाले थे। जबकि इन्हें डेढ़ सौ रुपए की स्थान पर 480 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से विभाग ने खरीदा था।

वहीं, अब सीबीआई की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है. वैसे-वैसे घोटाले की परतें खुलती जा रही है. इस मामले में कई नाम सामने आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, नियमानुसार गिरफ्तारी की कार्रवाई के बाद विभागीय स्तर पर निलंबन की कार्रवाई स्वंय शुरू हो जाती है. शासन अभी सीबीआई के स्तर से आगे की कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहा है।

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