समाचार सच, नई दिल्ली (एजेन्सी)। चंद्रयान-3 आज लॉन्च हो गया। ISRO के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 ने दोपहर 2.35 बजे उड़ान भरी। चंद्रयान-3 को बनाने में 615 करोड़ का खर्च आया है। यह मिशन 45 से 50 दिनों में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। बता दें कि पूरे दुनिया की निगाहें भारत के मून मिशन पर टिकी हुई हैं।
चंद्रयान 3 की सफलता के बाद भारत- अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद चौथा देश बन जाएगा, जिसने चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग की है। बता दें कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। ISRO ने लैंडिंग के लिए यहां सुरक्षित स्थान पाया है। अभी तक किसी भी देश ने यहां पर लैंडिंग नहीं की है।
आपको बता दें कि करीब अगले 45 दिनों में चंद्रयान-3 3 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए यह चंद्रमा तक पहुंच जाएगा। वहीं जब यह लॉन्च हो रहा था, उस दौरान सतीश धवन स्पेस सेंटर में सैकड़ों लोग मौजूद थे। कई छात्र-छात्राएं भी वहां मौजूद थे। मोदी सरकार में मंत्री जितेंद्र सिंह, राजीव चंद्रशेखर भी वहां मौजूद थे। इसरो ने घोषणा की है कि चंद्रयान से लॉन्चर पूरी तरह अलग हो गया है।
इधर चंद्रयान 3 की सफल लॉन्चिंग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर शुभकामनाएं दी। पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा। यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भरता है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करता हूं।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। स्टड3 ने पहले ही चंद्रयान-3 यान को पृथ्वी के चारों ओर सटीक रूप से स्थापित कर दिया है। आइए हम चंद्रयान-3 यान को आगे की कक्षा बढ़ाने और आने वाले दिनों में चंद्रमा की ओर यात्रा करने के लिए शुभकामनाएं दें।
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए इसरो के स्टड-3 लॉन्चर (रॉकेट) का इस्तेमाल किया गया। यह रॉकेट भारी सैटेलाइट्स को भी अंतरिक्ष में छोड़ सकता है। स्टड-3 43.5 मीटर यानी करीब 143 फीट ऊंचा है और 642 टन वजनी है। स्टड-3 रॉकेट चंद्रयान-3 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में छोड़ेगा।
भारत अगर चंद्रयान 3 को लैंड कराने में सफल होता है, तो ये भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इसकी सफलता से भारत की स्पेस इकोनोमी में वृद्धि होगी और निजी निवेश के लिए भी लोग आगे आएंगे। अभी भारत की स्पेस इकोनोमी 57 हजार करोड़ की है।


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