समाचार सच, उत्तरकाशी। उत्तराखंड में मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी अब हकीकत बनती नजर आ रही है। खासकर पर्वतीय जिलों में लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। तेज बारिश के चलते नदियों और गदेरों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है और कई इलाकों में भूस्खलन व जलभराव की स्थिति बन गई है।


शनिवार देर रात यमुनोत्री हाईवे पर पालीगाड़ ओजरी डाबरकोट के पास सिलाई बैंड क्षेत्र में बादल फटने से भारी तबाही हुई। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है और सात लोग लापता हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है। सबसे ज्यादा असर उत्तरकाशी जिले में देखने को मिला है, जहां जगह-जगह रास्ते बंद हो गए हैं।
वहीं, रविवार शाम एक अन्य घटना में मोरी ब्लॉक के लिवाड़ी फीताड़ी मार्ग से एक वाहन फिसलकर रूपिन नदी में जा गिरा। गनीमत यह रही कि वाहन में सिर्फ चालक मौजूद था, जो गिरते ही किसी तरह वाहन की छत पर चढ़ गया। बाद में स्थानीय लोगों ने तत्परता दिखाते हुए रस्सी फेंककर उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही एसडीआरएफ, पुलिस और राजस्व विभाग की टीमों को तत्काल मौके के लिए रवाना किया गया था। हालांकि स्थानीय लोगों की मदद से चालक को सुरक्षित निकाल लिया गया। नदी के तेज बहाव के कारण वाहन को फिलहाल वहीं रोककर रखा गया है, जिसे जलस्तर कम होते ही बाहर निकाला जाएगा।
इस बीच मौसम विभाग ने 29 और 30 जून को प्रदेश के कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी करते हुए रेड अलर्ट घोषित किया है। हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने 29 जून को चारधाम यात्रा स्थगित करने का निर्णय लिया है। यमुनोत्री यात्रा मार्ग फिलहाल अवरुद्ध है और श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर रोका गया है। प्रशासन की ओर से यात्रियों के लिए ठहरने, भोजन और सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की गई है।




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