समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। छठ पूजा संतान की लंबी आयु, परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है। इस चार दिन के पर्व में व्रती महिला और पुरुष 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर सूर्यदेव और छठी मईया की पूजा करते हैं। इस दौरान उपवास के साथ कई तरह के कठिन नियमों का पालन करना होता है। छठ पर व्रती महिलाएं सूती साड़ी पहनती हैं। हालांकि, कई लोग नहीं जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है।
बिना सिलाई के कपड़े
इस वर्ष छठ पूजा 30 अक्टूबर को है। छठ पूजा में व्रती महिलाएं बिना सिलाई किए हुए ही कपड़े पहनती हैं। ऐसे में महिलाएं सूती साड़ी पहनती है। ये परंपरा सदियों से चलती आ रही है।
पुरुष पहनते हैं धोती
छठ पूजा के दौरान महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर ही पूजा करते है। हालांकि, साड़ी खरीदते समय महिलाएं इस बात का खास ख्याल रखती है कि वह सिलाई वाली न हो।
कठिन मानी जाती है पूजा
छठ पूजा को करना काफी कठिन माना जाता है। एक बार कोई व्रत शुरू कर दे तो इसे लगातार करना होता है। इस व्रत को घर की महिलाओं को तब तक करना होता है, जब तक नई पीढ़ी की कोई महिला व्रत की शुरुआत न कर दे।
यह है तिथियां
28 अक्टूबर 2022- नहाय खाय
29 अक्टूबर 2022- खरना
30 अक्टूबर 2022- छठ पूजा (डूबते सूर्य को अर्घ्य)
31 अक्टूबर 2022- उगते सूर्य को अर्घ्य (छठ पूजा का समापन)







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