सीएम धामी की सख्त नसीहत: फाइलों में देरी नहीं चलेगी, प्रशासन तेज और पारदर्शी बने

खबर शेयर करें

समाचार सच, देहरादून। राज्य में आयोजित दो दिवसीय एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस के समापन के अगले दिन शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन सहित सभी आईएएस अधिकारी मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह मंच किसी औपचारिक संबोधन का नहीं, बल्कि प्रशासन के प्रति उनकी संवेदनशील और आत्मीय भावनाओं को साझा करने का अवसर है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि फाइलों के निस्तारण में देरी न हो और सभी निर्णय लक्ष्य आधारित और समयबद्ध हों।

सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड ने 25 वर्षों की अपनी यात्रा में अनेक चुनौतियों का सामना किया है और इन उपलब्धियों में प्रशासनिक तंत्र की निष्ठा, मेहनत और दूरदर्शिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कठिन हालात में भी अधिकारियों ने अपनी नेतृत्व क्षमता और संवेदनशीलता का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में अधिक गति, दृढ़ता और संकल्प से काम करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्धरण— “यह दशक उत्तराखंड का दशक है” — का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि इस लक्ष्य को साकार करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।

यह भी पढ़ें -   यूकेडी के सुरेंद्र कुकरेती बने नए केंद्रीय अध्यक्ष, गैरसैंण राजधानी समेत 25 बड़े प्रस्ताव पास

उन्होंने कहा कि आने वाले पांच वर्ष राज्य के लिए अत्यंत निर्णायक होंगे। ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिससे हर नागरिक महसूस कर सके कि राज्य सकारात्मक और तेज बदलाव की राह पर है। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि प्रशासन को पारदर्शिता और तत्परता के साथ काम करना होगा। प्रत्येक योजना और निर्णय जन-केंद्रित और लक्ष्य-आधारित हो तथा फाइलों का निस्तारण तय समय में हो। योजनाओं का प्रभाव सीधे जमीनी स्तर पर दिखाई देना चाहिए और हर प्रक्रिया में जवाबदेही तय हो।

सीएम ने अधिकारियों को याद दिलाया कि उन्होंने यह सेवा धन या पद के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र और समाज के लिए कुछ कर दिखाने की भावना से चुनी थी। आईएएस अधिकारियों के निर्णय लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं, इसलिए संवेदनशीलता और दूरदृष्टि अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जनता की शिकायतें, लालफीताशाही और फाइलों में अनावश्यक देरी प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं, इसलिए जनता के विश्वास को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए।

यह भी पढ़ें -   2027 से पहले ही बीजेपी ने खोल दी परफॉर्मेंस स्क्रूटनी! प्रदेश महामंत्री परिहार का बड़ा बयान, बोल- टिकट उसी को… जो जनता की कसौटी पर खरा

मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक इतिहास में सूर्यप्रताप सिंह, टीएन शेषन और नृपेंद्र मिश्र जैसे अधिकारियों का उदाहरण देते हुए कहा कि ईमानदारी और जनसेवा से बनाई गई छाप आजीवन कायम रहती है। पद की प्रतिष्ठा सीमित होती है, लेकिन कार्यों का सम्मान जीवनभर बना रहता है। इसलिए अधिकारी अपने पद को केवल नौकरी नहीं, बल्कि समाज सेवा का अवसर समझें। उन्होंने स्पष्ट कहा कि नए भारत में उदासीन कार्यशैली स्वीकार नहीं की जाएगी।

अंत में सीएम ने निर्देश दिए कि कोई भी कार्य अनावश्यक रूप से लंबित न रखा जाए। निर्णय तेजी और सूझबूझ से लिए जाएं। योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक पारदर्शिता और समयबद्ध तरीके से पहुंचे। अधिकारियों को अपने क्षेत्रों में नियमित समीक्षा, सतत मॉनिटरिंग और साइट निरीक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ‘विकल्प रहित संकल्प’ के मंत्र के साथ उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने की दिशा में काम कर रही है।

Ad Ad Ad Ad Ad

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें

हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440