समाचार सच, देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर कांग्रेस ने प्रदेशभर में अग्निपथ भर्ती योजना के खिलाफ प्रदर्शन कर विरोध जताया। देहरादून, हल्द्वानी, काशीपुर, रुद्रपुर, हरिद्वार आदि शहरों में कांग्रेसियों ने सत्याग्रह कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। कांग्रेसियों का कहना था कि सेना भर्ती के लिए तैयारी कर रहे बेरोजगार युवकों को योजना से बहुत नुकसान होगा। केंद्र सरकार से मांग की है कि अग्निपथ भर्ती योजना को तुरंत ही वापस लिया जाए।
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा घोषित की गई युवा विरोधी अग्निपथ योजना के विरोध में आज विधानसभा चकराता के कालसी में आयोजित सत्याग्रह में विधायक चकराता प्रीतम सिह ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर प्रीतम सिह ने कहा की भाजपा राज़ में बेतहाशा बढ़ती हुई बेरोजगारी से त्रस्त युवा मोदी सरकार द्वारा जबरन थोपी जा रही अग्निपथ भर्ती योजना के छलावे से बेहद आक्रोशित हैं। योजना की घोषणा के बाद से अब तक तीन संशोधन कर चुकी केंद्र सरकार को अग्निपथ योजना को वापिस लेना ही होगा।
वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड राज्य के पूर्व मुखयमंत्री हरीश रावत ने गढ़ीकैंट विधानसभा मसूरी, देहरादून में आयोजित अग्निपथ योजना के खिलाफ उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का भारत के युवाओं के समर्थन में सत्याग्रह कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर पूर्व मुखयमंत्री हरीश रावत ने कहा की अग्निपथ योजना के तहत सारे देश के विरोध को देखते हुये भी सरकार ने अग्निवीर भर्ती प्रारम्भ करने का निश्चय किया है। इस निश्चय का कालांतर में हमारी सैन्य शक्ति, रक्षा सेवाओं और देश की आंतरिक व्यवस्था पर पड़ने की आशंका गैर राजनीतिक श्रोतों द्वारा भी व्यक्त की जा रही है, जिसमें सेवानिवृत्त वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी सम्मिलित हैं। मेरा दुःख अपने उन नौजवानों के साथ है जो पिछले कुछ वर्षों से सेना में भर्ती होने का सपना देख रहे हैं, इनमें वो माँ-बाप भी सम्मिलित हैं जो लोग सैन्य परम्परा को आगे बढ़ाना चाहते हैं और अपने पुत्र को सैनिक की वर्दी में देखना और भारतीय सेना का सिपाही कहे जाने के गौरव के लिए आशान्वित हैं। हम उत्तराखंड के लोग सैन्य परम्परा के लोग हैं। सेना और अर्धसैनिक बलों और पुलिस में भर्ती होना, हमारे प्रमुख सपनों में से एक सपना है। बहाना भले ही कोरोना का हो, मगर सरकार ने अपने खर्चों को कम करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों और पुलिस बल में भर्ती बंद कर रखी है। उत्तराखंड का शायद ही कोई गाँव होगा, जहाँ कुछ लड़के सुबह-सुबह या शाम को सड़क और गाँव की पगडंडियों पर दौड़ते हुए न दिखाई देते हों और अपनी हाइट बढ़ाने और अपनी दूसरी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यायाम करते दिखाई देते हैं, इनमें से कुछ नौजवान फिजिकल व मेडिकल टेस्ट दे चुके हैं और रिटर्न टेस्ट की कॉल के लिए प्रतीक्षारत थे, उन परिवारों ने करीब मान लिया था कि हमारा बेटा अब सैनिक होगा। अग्निपथ योजना की घोषणा होते ही ये सारी सोचें धराशायी हो गई हैं। सरकार कितने ही टल्ले लगाये, कुछ मुख्यमंत्रीगण अर्धसैनिक बलों में सैन्य अग्निवीरों के लिए आरक्षण की बात कर रहे हैं, जो कानूनन संभव नहीं है। कुछ मुख्यमंत्रीगण, राजकीय सेवाओं का जो खुद ही एक सपना है उनमें अग्निवीरों को 4 साल बाद जब वह घर आएंगे उन्हें वरीयता देने की बात कर रहे हैं। कुछ बड़े उद्यमी सरकार की मदद में आगे आकर के कह रहे हैं कि हम अपने वहां अग्निवीरों को सेवाओं में प्राथमिकता देंगे और इनमें से कुछ उद्यमी तो ऐसे हैं जिनके उद्यम उत्तराखंड में भी हैं और उनके उद्यमों में जो हमारे कार्यरत लोग हैं उनकी छटनी हो रही है! मैं बिना सरकार की मंशा पर कोई सवाल खड़े किए अपने इस सीमांत राज्य की बेबसी पर जरूर कुछ कहना चाहता हूं। इस समय बेरोजगारी वैसे ही 8 प्रतिशत से ऊपर की वृद्धि दर पर है और बहुत जल्दी ही यह 12 प्रतिशत की वृद्धि दर को पार कर जाएगी अर्थात हम बेरोजगारी में हरियाणा के समकक्ष पहुंच जाएंगे। हरियाणा में खेती है, दिल्ली के नजदीक है तो छोटे उद्यम भी हैं। हमारे यहां खेती भी आधी-अधूरी है और उद्यम यदि कुछ पैदा भी करें तो उसके लिए बाजार बहुत दूर है अर्थात हम मार्केट की कंपटीशन में हमारे उत्पाद टिक नहीं पाते हैं तो हमारे लिए एक ही रास्ता है कि सेना व अर्धसैनिक बलों में भर्ती हो या फिर राज्य सरकार कुछ ऐसा बल यहां क्रियान्वित करे कि हमारे जो भी लोग अग्निवीर बनकर के सेवानिवृत्त होकर के आएं उनको उस वैकल्पिक सेवा में भर्ती कर लिया जाए, ऐसा मुझे कुछ होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। हमारी रेजिमेंटें, हमारी गौरव हैं। इस अग्निपथ योजना से कालांतर में रेजिमेंट सिस्टम भी कालकल्वित हो जाएगा। कोई भी उत्तराखंडी अपने इस गौरव को छिनता हुआ देखना पसंद नहीं करेगा। कांग्रेस पार्टी, अग्नीपथ योजना के विरोध में सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया है और मैं भी एक गैर राजनीतिक अभियान, रुवरिष्ठ-नागरिकजनों का 60 साल से ऊपर इन लोगों का प्रारंभ कर रहा हूं, जो अभियान सर्व पक्षीय और सर्वदलीय होगा। क्योंकि यदि हम खुलकर के सामने नहीं आते हैं तो नौजवानों में निराशा फैलेगी और यह निराशा सीमांत क्षेत्रों में कई तरह की की समस्याओं को खड़ा करेगी। मैं आपसे संबोधित होकर इन बातों को इसलिए कह रहा हूं, हम चाहते हैं कि हमारे वरिष्ठ नागरिक अभियान जो अग्नीपथ योजना के खिलाफ है, उसको आप अपना आशीर्वाद प्रदान करें और अपने स्तर से भी अपने-अपने गांवों व अपने-२ प्रभाव क्षेत्रों से आप प्रस्ताव पारित करके राज्य सरकार व केंद्र सरकार को भेजकर अपना विरोध जताएं। कल स्थितियां खराब होंगी तो उस समय विरोध जताने के बजाय समय पर हमको अपना नागरिक कर्तव्य पूरा करना है और मैं यह अपील करने के लिए तैयार हूं कि इस अभियान को पूरी तरीके से गैर राजनैतिक माना जाए। हम किसी को झुकाने के लिए नहीं कर रहे हैं। हम केवल अपने दर्द को बयां करने के लिए, अपनी चिंता को लोगों तक अर्थात जो लोग मायने रखते हैं, उन तक पहुंचाने के लिए कर रहे हैं। मैं बहुत सारे घरों को जानता हूं, जिन घरों में कुछ दिनों से ठीक से खाना नहीं खाया जा रहा है। जिन परिवारों में चौथी पीढ़ी को तैयार किया जा रहा है कि वह सेना में भर्ती हों, उस परिवार पर क्या गुजर रही है, जब उसको लग रहा है कि अब मेरी बल परंपरा का यह नौजवान भारतीय सेना का गौरवान्वित सैनिक/सिपाही कहलाने के बजाय अग्निवीर कहा जाएगा और वह भी सेवानिवृत्त अग्निवीर कहा जाएगा, तो आइए हम सब अपनी भावनाओं को माननीय प्रधानमंत्री जी तक पहुंचाएं।
अग्निपथ योजना के विरोध में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने समर्थकों के साथ तहसील प्रांगण में सत्याग्रह किया। उन्होंने इस कानून के विरोध में दो घंटे उपवास रखा। साथ ही उन्होंने इस योजना को युवाओं के भविष्य के साथ कुठाराघात बताया। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य तय कार्यक्रम के अनुसार तहसील प्रांगण पहुंचे। जहां उन्होंने अग्निपथ योजना के विरोध में अपना सत्याग्रह शुरू किया। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने केंद्र सरकार पर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया और कहा कि कठिन परिश्रम करने के बाद युवा देश की सुरक्षा करने के लिए सेना में भर्ती होते हैं, लेकिन केंद्र सरकार युवाओं के परिश्रम पर पानी फेरने का काम कर रही है।
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