समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। सावन का पावन महीना शुरू होते ही शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। हर कोई भोलेनाथ से अपनी मन्नतें मांगता है, कभी व्रत के रूप में, कभी जलाभिषेक के जरिए। लेकिन अगर आप कभी किसी मंदिर में गए हों, तो आपने एक खास दृश्य जरूर देखा होगा, शिवलिंग के सामने बैठे नंदी बैल के एक कान में श्रद्धालु कुछ फुसफुसाते हैं। ये देख कर एक स्वाभाविक सवाल मन में उठता है कि आखिर नंदी के कौन से कान में बोलने से मुराद पूरी होती है, बाएं या दाएं? और क्यों? आइए जानें…
नंदी केवल शिव के वाहन ही नहीं हैं, बल्कि उन्हें नंदि गणाध्यक्ष यानी शिव गणों के प्रमुख और भोलेनाथ के परम भक्त का दर्जा प्राप्त है। उन्हें शिव के सबसे करीबी शिष्य और साथी माना जाता है, जो हर क्षण भगवान शिव की सेवा में लगे रहते हैं। मान्यता है कि शिव किसी से भी सीधे संवाद नहीं करते, लेकिन उनके भक्तों की बात नंदी तक पहुंचे, तो वह उन्हें जरूर भोलेनाथ तक पहुंचा देते हैं। यही वजह है कि नंदी के कान में मनोकामना कहना सिर्फ एक रिवाज नहीं, बल्कि गहन विश्वास का प्रतीक बन गया है।
नंदी के कौन से कान में बोलें?
परंपराओं और धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, नंदी के दाहिने कान में धीरे से अपनी इच्छा कहनी चाहिए। मान्यता है कि नंदी इस मुराद को सीधे भगवान शिव तक पहुंचाते हैं। कुछ पुराणों में उल्लेख मिलता है कि नंदी को तपस्या और ध्यान में इतना पारंगत माना गया है कि वे बिना विचलित हुए, मन की बात को ग्रहण कर उसे शिव तक पहुंचा सकते हैं। इसीलिए भक्त नंदी के दाहिने कान में धीरे से अपनी इच्छा या मन्नत कहते हैं और मन ही मन विश्वास रखते हैं कि भोलेनाथ जल्द ही उनकी सुनेंगे।
नंदी के दाहिने कान में फुसफुसाने का वैज्ञानिक पहलू
अगर इस परंपरा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो यह व्यक्ति के अंदर की भावनात्मक ऊर्जा और विश्वास को एक दिशा देने का तरीका भी है। जब कोई व्यक्ति किसी शांत मूर्ति के कान में धीरे से अपनी मुराद कहता है, तो उसका मन और शरीर पूरी तरह से एकाग्र हो जाता है। यह एक प्रकार का मानसिक ध्यान बनाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और व्यक्ति खुद ही उस दिशा में कर्म करने के लिए प्रेरित होता है। इससे न सिर्फ मनोकामनाएं पूरी होने की संभावना बढ़ती है, बल्कि आत्मविश्वास और श्रद्धा भी मजबूत होती है।
क्या महिलाएं भी नंदी के कान में बोल सकती हैं?
इस सवाल को लेकर कई बार भ्रम की स्थिति बनी रहती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि शिव की भक्ति में लिंग, जाति या उम्र की कोई सीमा नहीं होती। अगर महिला श्रद्धा और मर्यादा के साथ नंदी के पास जाकर अपनी इच्छा प्रकट करती है, तो उसमें कोई दोष नहीं माना गया है। यह आस्था और भावना की बात है, न कि किसी परंपरा की पाबंदी।
इच्छा बोलने का तरीका, क्या सावधानी रखें?
नंदी महाराज के कान में अपनी मनोकामना कहने से पहले, पहले श्रद्धा के साथ उनकी पूजा अवश्य करें। पूजा करते समय मन को एकाग्र और शांत रखें, तभी आपकी भावनाएं सही तरीके से उन तक पहुंच पाएंगी। भगवान शिव की आराधना करते समय संभव हो तो मौन धारण करें और अपने विचारों को स्थिर बनाएं। अपनी इच्छा प्रकट करने से पहले श्घ् नमः शिवायश् मंत्र का जाप करें, ताकि आपकी वाणी पवित्र और ऊर्जा से भरपूर हो सके।


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