परिक्रमा जिसे संस्कृत में प्रदक्षिणा कही जाती है, धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद उनकी परिक्रमा करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाओं से रक्षा होती है। इसलिए लोग मंदिरों, गुरुद्वारे, यज्ञशाला आदि जहां भगवान की मूर्ति या फिर कोई पूज्य वस्तु रखी जाती है, उस स्थान के आस-पास दाहिने हाथ के ओर से परिक्रमा करते हैं। लेकिन इनके अलावा इन तीन की परिक्रमा करने से व्यक्ति का दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है और इनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता मिलने लगती है।
मंदिरों या पवित्र स्थलों में दर्शन करने के बाद नंगे पांव परिक्रमा करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन को शांति भी मिलती है। धार्मिक कथा के अनुसार जब श्री गणेश और कार्तिक के बीच पृथ्वी का चक्कर लगाने की प्रतिस्पर्धा चल रही थी तब गणेश जी ने अपनी बुद्धि का प्रयोग कर पिता शिव और माता पार्वती के तीन चक्कर लगाकर संसार को यह शिक्षा दी थी की माता पिता से बड़कर संसार में कुछ भी नहीं है। जो मनुष्य अपने जन्मदाता माता-पिता एवं जीवन को सही दिशा धारा देने वाले सदगुरु की परिक्रमा नित्य करता है उनके जीवन का बड़ा से बड़ा दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है।
इन 3 की परिक्रमा से बदल जाता है भाग्य, होने लगती है हर मनोकामना पूरी
इनकी इतनी परिक्रमा करनी चाहिए
1- प्रतिदिन जन्म देने वाले माता-पिता की 3 परिक्रमा करनी चाहिए।
2- पवित्र यज्ञशाला की 5, 11 या 108 परिक्रमा करनी चाहिए।
3- भगवान श्रीकृष्ण की 3 परिक्रमा करनी चाहिए।
4- देवी मां के मंदिर की 1 परिक्रमा करनी चाहिए।
5- भगवान विष्णुजी एवं उनके सभी अवतारों की चार परिक्रमा करनी चाहिए।
6- श्रीगणेशजी और हनुमानजी की तीन परिक्रमा करनी चाहिए।
7- शिवजी की आधी परिक्रमा करनी चाहिए, क्योंकि शिवजी के अभिषेक की धारा को लाघंना अशुभ माना जाता है।
8- वट सावित्री में पति की दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं । इस दिन वट के पेड़ की 108 परिक्रमा करनी चाहिए।
9- पित्रों की कृपा पाने के लिए पीपल के पेड़ की 11 या 21 परिक्रमा करनी चाहिए।
10- गायत्री मंत्र जपने वाला कोई भी इंसान, श्राद्ध लेने वाला पंड़ित और मार्जन के जानकर इंसान को खाना खिलाकर इनकी चार परिक्रमा करनी चाहिए।
इन 3 की परिक्रमा से बदल जाता है भाग्य, होने लगती है हर मनोकामना पूरी
परिक्रमा करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
1- जिस देवी-देवता की परिक्रमा की जा रही है, मन ही मन उनके मंत्रों का जप करना चाहिए।
2- भगवान की परिक्रमा करते समय मन में बुराई, क्रोध, तनाव जैसे भाव नहीं होना चाहिए।
3- परिक्रमा नंगे पैर ही करना चाहिए।
4- परिक्रमा करते समय बातें नहीं करना चाहिए। शांत मन से परिक्रमा करें।
5- परिक्रमा करते समय तुलसी, रुद्राक्ष आदि की माला पहनना बहुत शुभ होता है।
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