हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने एनआईएस से दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्तार्थियों को दी राहत

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समाचार सच, नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने एनआईएस से दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्तयर्थियों को अन्तिम रूप से राहत देते हुए सहायक अध्यापक (प्राथमिक) के पद पर नियुक्ति हेतु योग्य मानते हुए, सचिव, शिक्षा विभाग आदेश 10 फरवरी 2021 के आदेश को निरस्त कर दिया है। दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों नन्दन सिंह बोहरा व अन्य की ओर से वर्ष 2021 में एक रिट दायर कर सचिव, शिक्षा विभाग के आदेश 10 फरवरी 2021 के आदेश को निरस्त करने की प्रार्थना की गई थी। रिट याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कथन किये कि एन०आई०ओ०एस० से दूरस्थ शिक्षा माध्यम से प्रदत्त 18 माह के प्रशिक्षण डिप्लोमा को भारत सरकार (एम0एच0आर0डी0) के आदेश 16-12-2020 व एन०सी०टी०ई०, के आदेश 06.01.2021 के द्वारा द्विवर्षीय रेगुलर डी०एल०एड० प्रशिक्षण के समतुल्य माना गया है और दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डी०एल०ए० प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थीगण सहायक अध्यापक (प्राथमिक) के पदो पर नियुक्ति हेतु चयन प्रक्रिया में शामिल किये जाने हेतु योग्य हैं। पूर्व के आदेशों में उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने रिट याचिकाकर्ताओं को प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सम्मलित किये जान का आदेश जारी किया था परन्तु शासन ने अग्रिम चयन प्रक्रिया को ही रोक दिया।
उक्त रिट याचिका व अन्य 20 से अधिक रिट याचिकाओं की सुनवाई के दौरान रिट याचिकाकर्ताओ
की ओर उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता सी०डी० बहुगणा की ओर से तर्क प्रस्तुत किये गये कि सचिव, शिक्षा विभाग का प्रश्नगत आदेश 10-02-2021, भारत सरकार (एम0एच0आर0डी0) के आदेश दि० 16-12-2020 4 एन०सी०टी०ई० के आदेश दिनांक 06- 01-2021 के विपरीत होने से निरस्त किये जाने योग्य है यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि सहायक अध्यापक (प्राथमिक) के पदों पर नियुक्ति हेतु अर्हता निर्धारित करने का प्रथम अधिकार भारत सरकार द्वारा नियुक्त संस्था एन०सी०टी०ई० को है और प्रदेश सरकार एन०सी०टी०ई० द्वारा जारी आदेशों व निर्देशों का अनुपालन किये जाने हेतु बाध्य है। सरकार की ओर उपस्थित अधिवक्ताओं की ओर से तर्क प्रस्तुत किये गये कि सहायक अध्यापक (प्राथमिक) सेवा नियमावली में दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डी०एल०एड० प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को शामिल किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है।

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