विष योग के प्रभाव और निवारण के उपाय

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समाचार सच. अध्यात्म डेस्क । एक व्यक्ति का काम और व्यवहार अक्सर उसकी कुंडली में शुभ और अशुभ योग द्वारा निर्धारित किया जाता है। एक शुभ योग आपको सकारात्मक परिणाम देता है, जबकि अशुभ योग का एक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि आप इस अशुभ योग की पहचान करने में सक्षम रहते हैं, तो आप इसके दुष्परिणामों को कम करने के लिए आवश्यक सावधानी बरत सकते हैं या इसको कम करने के लिए कुछ उपायों को भी अपना सकते है।व्यक्ति की कुंडली में विष योग तब होता है जब शनि और चंद्रमा एक साथ आ जाते है। उनका संयोजन विष योग कहलाता है।
विष योग के निर्माण के कारण –

  1. यदि व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा अस्थिर होता है और शनि की चंद्रमा और कुंडली के तीसरे, सातवें और दसवें घरों पर पर दृष्टि तो यह विष योग का कारण हो सकता है।
  2. यदि कर्क राशि में शनि ग्रह पुष्य नक्षत्र में है और मकर राशि में चंद्रमा श्रावण नक्षत्र में है या शनि और चंद्रमा विपरीत दिशाओं में है लेकिन वे अपनी अपनी स्थितियों से एक दूसरे को देख रहे हैं जो ये भी विष योग बनाते है।
  3. अगर राहु 8वें घर में उपस्थित है और शनि मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक राशि में अस्थिर है, तो इसका परिणाम विष योग होता है।
    विष योग के प्रभाव -यह योग मृत्यु, डर, अपमान, बीमारियों, बुरा प्रतिष्ठा, संघर्ष, आलस्य, वित्तीय बाधाएं और नुकसान का कारण हो सकता है। यह व्यक्ति निराशावादी बनाता है और उसे व्यक्तिगत और साथ ही व्यावसायिक जीवन में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
    इस प्रकार करें विष योग की पहचान –
    इस योग की पहचान के लिए आप एक ज्योतिषी से परामर्श कर सकते हैं जो आपके कुंडली का विश्लेषण कर के विष योग के बारे में जानकारी देगा।
    विष योग दूर करने के उपाय –
  4. भगवान शिव की पूजा करें और रोज़ाना सुबह और शाम 108 बार ओम नमः शिवाय का जाप करें।
  5. रोजाना महामृत्यंजय मंत्र का जाप करें
  6. हनुमानजी की पूजा करना भी इस योग को दूर करने में सहायता कर सकता है।
  7. शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करें और उनका तेल-अभिषेक करें।

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