समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार होलाष्टक 07 मार्च से 17 मार्च तक रहेगा, जिसके दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके ठीक बाद 14 मार्च से मलमास (अधिक मास) प्रारंभ हो रहा है, जो 12 अप्रैल तक चलेगा। इन दोनों अवधियों में मांगलिक और शुभ कार्यों को वर्जित माना जाता है।


क्या है होलाष्टक?
होलाष्टक, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की आठ दिवसीय अवधि होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन दिनों में वातावरण में उग्र और अशुभ ऊर्जा बढ़ जाती है, जिससे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, उपनयन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।
मलमास क्यों होता है अशुभ?
मलमास (अधिक मास) उस समय होता है जब सूर्य देव किसी भी राशि में संक्रांति नहीं करते। इस बार 14 मार्च से 12 अप्रैल तक मलमास रहेगा, जिसे अशुभ माना जाता है। इस दौरान शुभ कार्य करने से अनिष्ट होने की संभावना बताई जाती है।
कौन-कौन से कार्य रहेंगे वर्जित?
- विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन, यज्ञोपवीत संस्कार
- नए कार्यों की शुरुआत, मकान-गाड़ी खरीदना
- कोई भी धार्मिक अनुष्ठान (मलमास में विशेष पूजन हो सकते हैं, लेकिन शुभ कार्य नहीं किए जाते)
क्या कर सकते हैं इन दिनों में?
- इस समय भगवान विष्णु और शिवजी की आराधना का विशेष महत्व है।
- दान-पुण्य और भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है।
- अधिक मास के दौरान कथा, उपवास और तीर्थ यात्रा का महत्व होता है।
होलाष्टक और मलमास के बाद शुभ कार्य कब होंगे?
मलमास समाप्त होने के बाद 13 अप्रैल से पुनः मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। इसके बाद विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य किए जा सकेंगे।
धार्मिक दृष्टि से होलाष्टक और मलमास का विशेष महत्व होता है, इसलिए इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।




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