गीता जयंती पर रहने वाला हैं शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग
समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। (देहरादून)। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती मनाई जाती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने युद्धभूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। गीता जयंती 22 दिसंबर, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। इस बार गीता जयंती की 5160 वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं कि भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा बताया गया कर्मयोग क्या है। गीता जयंती 22 दिसंबर दिन शुक्रवार को पड़ रही है. गीता हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को मनाई जाती है हिंदू पंचांग के अनुसार, गीता जयंती मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है. इस साल मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी 22 दिसंबर को सुबह 8.15 बजे से प्रारंभ होगी और इसका समापन 23 दिसंबर को सुबह 7.10 बजे तक होगी. इस साल गीता जयंती पर तीन बड़े ही शुभ योग बनने जा रहे हैं. इस दिन शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग रहने वाला है. शिव योग- 22 दिसंबर को सुबह 11.11 बजे से सुबह 09.08 बजे तक है.सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 07.09 बजे से रात 09.36 बजे तक रहेगा. रवि योग- सुबह 07.09 बजे से रात 09.36 बजे तक।
इस साल 22 दिसंबर को गीता जयंती है। मान्यता है कि जिस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था उस दिन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी, इसीलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन उपवास करने की मान्यता है। गीता जयंती के दिन उपवास करने से मन पवित्र होता है और शरीर स्वस्थ रहता है। साथ ही समस्त पापों से भी छुटकारा मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म और कर्म को समझाते हुए उपदेश दिया था। महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण के द्वारा जो उपदेश दिए गए उसे गीता कहा जाता है। गीता के उपदेश में जीवन जीने, धर्म का अनुसरण करने और कर्म के महत्व को समझाया गया है। गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी हर साल जयंती मनाई जाती है। गीता को श्रीमद्भगवद्गीता और गीतोपनिषद के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गीता के उपदेशों का अनुसरण करने से समस्त कठिनाइयों और शंकाओं का निवारण होता है।गीता में श्रीकृष्ण के द्वारा बताए गए उपदेशों पर चलने से व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।
गीता के उपदेश में जीवन को जीने की कला, प्रबंधन और कर्म सब कुछ है। इसलिए इस दिन गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता की तहर ही गीता जयंती को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। गीता में लिखे गए प्रत्येक श्लोक मनुष्य कल्याण के लिए लाभकारी माने जाते हैं। गीता के उपदेश के जरिए भगवान श्रीकृष्ण ने मनुष्य को अच्छे-बुरे और सही-गलत का फर्क बताया है। इस दिन यदि गीता का पाठ किया जाए तो भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया का इकलौता ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि गीता का जन्म स्वंय भगवान श्री कृष्ण के मुख से हुआ है। गीता में वर्णित एक-एक श्लोक भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकले हैं, इसलिए गीता जयंती मनाई जाती है।




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