समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को कहते हैं और इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्घ्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। गुरु पूर्णिमा के दिन अपने-अपने घरों में सत्य नारायण भगवान की कथा करवाने का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन महर्षि वेद व्यासजी का जन्म भी हुआ था। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन सत्घ्य नारायण भगवान की कथा करने से आपके घर में सुख समृद्धि का वास होता है और घर से हर प्रकार की नेगेटिव एनर्जी दूर होती है। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा की तिथि, महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त और अन्य जरूरी बातें।


गुरु पूर्णिमा का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार, अबकी बार 10 जुलाई को मनाया जाएगा। आषाढ़ मास की इस पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान करने और दान पुण्य के कार्य करने का खास महत्व शास्त्रों में बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। साथ ही इस दिन घरों में सत्य नारायण भगवान की कथा करने का खास महत्व शास्त्रों में बताया गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से आपको हर तरह के पाप से मुक्ति मिलती है और महापुण्य की प्राप्ति होती है। आइए आपको बताते हैं गुरु पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजाविधि।
गुरु पूर्णिमा की तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई को रात 1 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी और यह 11 जुलाई को रात 2 बजकर 06 मिनट पर खत्म होगी। इसलिए गुरु पूर्णिमा 2025, 10 जुलाई को मनाई जाएगी।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
पौराणिक मान्यताओं में बताया गया है कि लगभग 3000 ई. पूर्व, आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। यह दिन वेद व्यास जी को समर्पित है। माना जाता है कि इसी दिन उन्होंने भागवत पुराण का ज्ञान दिया था। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। साथ ही पूर्णिमा का दिन होने की वजह से इस दिन विष्णु भगवान और मां लक्ष्घ्मी की पूजा की जाती है। इस दिन गुरुओं का सम्मान किया जाता है और साथ ही उन्हें गुरु दक्षिणा भी दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गुरु और बड़ों का सम्मान करना चाहिए। जीवन में मार्गदर्शन के लिए उनका आभार व्यक्त करना चाहिए, गुरु पूर्णिमा पर व्रत, दान और पूजा का भी महत्व है। व्रत रखने और दान करने से ज्ञान मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गुरु पूर्णिमा की पूजाविधि
गुरु पूर्णिमा पर अगर आप पंडितजी को बुलाकर सत्घ्यनारायण भगवान की कथा करवा पाने में असमर्थ हैं तो चिंता न करें। आप भगवान विष्णु की पूजा स्घ्वयं करके भी शुभ फल पा सकते हैं। भगवान विष्घ्णु की पूजा में तुलसी, धूप, दीप, गंध, पुष्प और पीले फल चढ़ाएं। श्रीहरि का स्मरण करें और अपनी मनोकामना बताएं। भक्ति भाव से पूजा करना जरूरी है। पूजा के बाद भगवान को अलग-अलग तरह के पकवानों का भोग लगाएं और प्रणाम करें और फिर भोग को प्रसाद के रूप में सभी लोगों में बांट दें। (साभार: गीतिका दुबे)


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