हल्द्वानी रेलवे भूमि प्रकरण: सरकार की गलत नीतियों की वजह से लोगों के घर खतरे में – विपक्षी दल

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Haldwani Railway Land Case: People’s homes in danger due to wrong policies of the government – Opposition parties

समाचार सच, देहरादून। आज उत्तराखंड राज्य में लोगों को बेघर करने की प्रक्रिया और ख़ास तौर पर हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में बन गई स्थिति पर राज्य भर में किये गए आव्हान पर देहरादून में विपक्षी दलों एवं जन संगठनों की और से प्रतिनिधि मंडल द्वारा मुख्य मंत्री के नाम पर जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया।

ज्ञापन द्वारा उन्होंने उच्चतम न्यायलय के रोक के आदेश का स्वागत करते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाया, और चेतावनी भी दी कि ऐसी ही स्थिति देहरादून और राज्य के अन्य इलाकों में बनने की पूरी सम्भावना है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं में बार-बार सरकार क़ानूनी पक्ष और ज़मीनी हकीकत को छुपाती है, और फिर न्यायलय के फैसले के बहाने लोगों को बेदखल करने की कोशिश करती है। यही स्थिति वनभूलपुरा के केस में और देहरादून से सम्बंधित याचिकाओं में भी दिखी है। हस्ताक्षरकर्ताओं ने यह भी कहा कि उत्तराखंड राज्य में एक तरफ लोगों को बेघर किया जा रहा है और दूसरी तरफ राज्य में पर्यावरण के नियमों और वन अधिकार कानून पर अमल न कर सरकार बड़ी परियोजनाओं और बिल्डरों के गैर क़ानूनी कामों को लगातार बढ़ावा दे रही है। पर्यावरण के नियमों को अनदेखी करने की वजह से ही अभी जोशीमठ में आपदा की स्थिति बन रही है।

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प्रतिनिधि मंडल ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायलय ने भी सवाल उठाया कि जिन्होंने ऑक्शन द्वारा ज़मीन लिया या जिनको लीज मिला है, उनको एक झटके में कैसे अतिक्रमणकारी घोषित कर बेदखल किया जा सकता है? इस सवाल को सरकार को उठाना चाहिए था। लेकिन सरकार जन विरोधी राय ले रही है। प्रतिनिधि मंडल में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी, सीपीआई के नेशनल काउंसिल सदस्य समर भंडारी, उत्तराखंड महिला मंच के निर्मला बिष्ट और पद्मा गुप्ता, ऑल इंडिया किसान सभा के राज्य अध्यक्ष सुरेंद्र सजवान एवं राज्य महामंत्री गंगाधर नौटियाल, वरिष्ठ पर्यावरणविद् डॉ रवि चोपड़ा, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल एवं मुकेश उनियाल, पीपल्स साइंस मूवमेंट के विजय भट्ट एवं कमलेश खंतवाल, त्रिलोचन भट्ट, और सामाजिक कार्यकर्ता राकेश अग्रवाल शामिल रहे।

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