समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह व्रत 18 सितंबर 2023 सोमवार को रखा जाएगा। जब तक व्रत का पारण नहीं होता है तब तक इस व्रत में खास तरह से और खास समय में पूजा होती है। इस दौरान रातभर जागरण करना होता है। पारण के बाद ही अन्न और जल का सेवन किया जाता है।
कितनी बार होती है पूजा?
इस व्रत में कम से कम 5 बार पूजा की जाती है।
हरतालिका व्रत की पूजा रात्रि के चार प्रहर और दिन के पहले प्रहर में करने का विधान है।
यह भी नियम है कि 5 पूजा में से 3 पूजा तीज के दिन कभी भी कर सकते हो।
आखिरी पूजा चतुर्थी के दिन पारण पूजा होती है, जिसे परायण भी कहते हैं।
किस समय करते हैं पूजा?
पहली पूजा – दिन में 06.07 से 08रू34 के बीच या 11 से 12 के बीच।
दूसरी पूजा – शाम 06.23 से 08.44 के बीच।
तीसरी पूजा – रात 11 से 12 बजे के बीच।
चौथी पूजा – रात 02 से 03 बजे के बीच।
पांचवीं पूजा – सुबह 05 बजे या ब्रह्म मुहूर्त में।
रात्रि का चौघड़िया
इस दिन प्रदोष काल पूजा के लिए पहला मुहूर्त शाम 06.23 बजे से शाम 06.47 बजे तक का है।
लाभ- 06.57 पी एम से 08.19 पी एम
शुभ- 09.41 पी एम से 11.03 पी एम
अमृत- 11.03 पी एम से 20 अगस्त को 12.25 ए एम तक।
चर- 12.25 ए एम से 20 अगस्त को 01.47 ए एम तक।
लाभ- 04.31 ए एम से 20 अगस्त को 05.53 ए एम तक।
कैसे करते हैं पूजा?
-पूजा के दौरान बालू में मिट्टी मिलाकर शिवलिंग बनाते हैं।
-शिवलिंग के साथ ही गौरी और गणेशजी की पूजा भी होती है।
क्या है व्रत के नियम?
-यह व्रत बहुत कठिन होता है।
-इस व्रत को एक बार रखा जाता है तो जीवन भर रखना होता है।
-सिर्फ रोग या शोक में इसे उस साल छोड़ सकते हैं।
-व्रत में किसी भी प्रकार से अन्न या जल ग्रहण नहीं करते हैं।
-व्रत के दौरान जब तक पारण नहीं हो जाता तप तक सोते नहीं हैं।
भाद्रपद शुक्ल तीज को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस दौरान महिलाएं व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा और आराधना करती है। कहते हैं कि माता पार्वती के व्रत की शुरुआत हरियाली तीज से होकर हरतालिका तीज को समाप्त होती है। यह व्रत उत्तर भारत में खासा प्रचलित है। इस बार यह तीज 18 सितंबर 2023 सोमवार को है। अगले दिन गणेश चतुर्थी रहेगी।
- हरतालिका तीज के दिन महिलाएं मेंहदी लगाती हैं और 16 श्रृंगार करती हैं।
- इस दिन महिलाएं हरा लहरिया या चुनरी में गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और खुशियां मनाती हैं।
- हरतालिका तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए सामान्य व्रत रखती हैं।
- हरतालिका तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है और महिलाएं इसमें शामिल होती हैं। परंतु आजकल यह प्रचलन कम हो चला है।
- आस्था, सौंदर्य और प्रेम का यह त्योहार हरियाली तीज भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की याद में मनाया जाता है। सभी महिलाएं भी इस दिन से व्रत की शुरुआत करती हैं जो हरितालिका तीज तक चलता है परंतु आजकल बस दो दिन ही व्रत रखते हैं हरियाली तीज और हरितालिका तीज। हरितालिका तीज का व्रत कठिन होता है जिसमें जागरण भी करना होता है।
- इस दिन महिलाएं मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाकर सुबह से लेकर रातभर पूजन, भजन करती हैं।


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