जिंदगी में असफलता से कैसे निपटें???

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मैं जिंदगी में कभी फेल नहीं हुआ! असफलता! वो क्या होती है! मैं हमेशा जीतने के लिए खेलता हूँ! मुझे कोई नहीं हरा सकता! मैं जिंदगी में केवल जीतने के लिए पैदा हुआ हूँ! या फिर

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ओह नो! फिर से नहीं! मैं दोबारा फेल हो गया! मेरे साथ ही हमेशा ऐसा क्यों होता है! तुम बहुत भाग्यशाली हो! तुम्हें तुम्हारे हर काम में हमेशा सफलता मिलती है! मेरा तो भाग्य ही खराब है!

आपने अक्सर लोगों को ये बातें बोलते हुए सुना होगा।कुछ लोग असफल होके भी ये बात नहीं मानते कि वे असफल हुए हैं जबकि कुछ लोग ये आसानी से स्वीकार कर लेते हैं कि वे असफल हुए हैं। पर सच्चाई ये है कि हम सभी जिंदगी में कभी ना कभी असफल जरूर होते हैं। अब हमारे सामने प्रश्न यही है कि हम अपनी असफलता से कैसे निपटे???

उत्तर ये है कि असफलता से निपटने के लिए आपको तीन काम करने हैं:

पहला काम – जो हम में से अधिकतर लोग करते हैं अपनी असफलता पर रोते हैं। चीखते हैं, चिल्लाते हैं। जिनकी वजह से असफल हुए हैं उन्हें कोसते हैं। बेवजह गुस्सा करते हैं। अपने किसी दोस्त, मम्मी – पापा या रिश्तेदार से घण्टों फ़ोन पर या मिलकर बातें करते हैं। किसी से बात करना बंद कर देते हैं। लोगों से बचते हैं। और भी ना जाने क्या-क्या!!! इन सब चीजों में कभी – कभी इतना समय निकल जाता है कि जब तक हमें समझ आता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है!!! और तब बचपन में पढ़ी हुई वही कहावत ध्यान आती है कि-
अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत…

अगर मैं आपसे ये कहूँ कि आप किसी चीज में असफल होने पर ये सब चीजें ना करें तो आप ना ये मानेंगे और ना ही ऐसा करना हमारे लिए संभव है क्योंकि ये आदतें हमें बचपन से लगी होती हैं। इन्हें एक दिन में बदलना संभव नहीं। तो मेरा सुझाव ये है कि आप असफल होने पर ऐसा ही करें लेकिन आप इन सब चीजों को करने के लिये एक निश्चित अवधि तय कर लीजिए!!! 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन, 10 दिन, 15 दिन… जैसे कि अगर आपको फेल होने पर रोने की आदत है तो आप ये तय कर लीजिए कि आप कितने दिन तक रोयेंगे??? मान लीजिए कि आपने 5 दिन का समय तय कर लिया। तो आप पहले दिन बहुत रोयेंगे। दूसरे दिन थोड़ा कम! तीसरे दिन थोड़ा और कम… चौथे दिन थोड़ा और कम और इस तरह आप देखेंगे कि आपका दुख पांचवे दिन तक काफी हल्का हो चुका होगा।
दोस्तों! एक बात तो पक्की है कि आप किसी भी चीज का शोक ताउम्र नहीं मना सकते। आपको किसी ना किसी पॉइंट पर तो रुकना होगा। अब ये आपके ऊपर है कि आप 3 दिन में रुकें, 30 दिन में रुकें या 30 साल में!!!

दूसरा काम – अब आप 3 दिन का ब्रेक लीजिए। इस ब्रेक में आपको अपनी कोई भी हॉबी का काम करना है। जैसे कि अगर आपको पेंटिंग करना पसंद है तो आप पेंटिंग कर सकते हैं, गाना गाना या सुनना पसंद है तो आप गाना गा या सुन सकते हैं। कहीं घूमना पसंद है तो आप कहीं घूमने जा सकते हैं। बस एक बात का ध्यान रखिएगा कि आपको इन 3 दिनों में अपनी असफलता से संबंधित कोई बात नहीं करनी है!!!


तीसरा काम – असफलता से सबक…
एक पेन और कॉपी ले लीजिए। उसमें दो कॉलम बना लीजिए। पहले कॉलम में आप वो सब चीजें लिख लीजिये जो आपने उस लक्ष्य को पाने के लिए किया और दूसरे कॉलम में आप उन सब चीजों को लिख लीजिये जो आप उस लक्ष्य को पाने के लिए कर सकते थे अर्थात असफलता के कारण। बस फिर उनमें से सबसे पहले किसी एक कारण को पकड़ लीजिए और पूरी जी जान से लग जाइए उस कमी को अपनी खूबी बनाने में! और ऐसा करके अपनी एक – एक कमजोरी को अपनी मजबूती में परिवर्तित कर दीजिए।
जिंदगी में हमेशा एक बात याद रखियेगा कि-
“गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में,
वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले।”

अगर आपको मेरे दिए हुए सुझावों से थोड़ा भी फायदा हो तो मुझे जरूर बताइयेगा  motivatorkd@gmail.com और आपको अगर लगता है कि आपके किसी अपने को इस लेख की बहुत जरूरत है तो उसे जरूर दिखाइयेगा।

मेरी शुभकामनाएँ आप सभी के साथ हैं…
प्रभु! आपकी हर इच्छा पूरी करें।

जय हिंद
जय उत्तराखंड


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