कुंडली में हो चांडाल योग तो नहीं लेने देता मेहनत का फल, इन उपायों को करने से मिलने लगेगा पूर्ण फल

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। कई बार हमारी बहुत कोशिशों के बाद भी हम किसी काम में सफल नहीं हो पाते, बच्चों के लाख कोशिश करने के बाद भी वो पढ़ नहीं पाते। पूरी सुविधाएं होने के बाद भी उनको पूरी तरह कामयाबी नहीं मिल पाती वो बच्चे कोई कोर्स या डिग्री अधूरे पूरी नहीं कर पाते, या उनमें नंबर बहुत कम आते हैं। कई बार बच्चे बुरी संगत के कारण भी पढ़ाई और कैरियर की संभावनाओं को खत्म कर लेते हैं। इसके कई कारण होते हैं, लेकिन कुंडली में चांडाल योग इसका मुख्य कारण होता है। इस योग के कुंडली में होने से बच्चा अक्सर गलत संगत या आदतों में पड जाता है और वह ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाता। आइए जानते हैं क्या होता है चांडाल योग और कैसे कर सकते हैं इसके उपाय

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किसे कहते हैं चांडाल योग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार राहु और बृहस्पति की युति चांडाल योग कहलाती हैं। राहु अगर गुरु के साथ एक राशि में आ जाए तो इसे चांडाल योग कहते हैं। बृहस्पति देवगुरु हैं और राहु एक राक्षस है। जब दोनों साथ होते है तो गुरु ही ज्यादा प्रभावित होता है, राहु राक्षस प्रवृत्ति का है, बृहस्पति यानी देवगुरु एक सभ्य पुरुष हैं। जब सभ्य पुरुष के साथ कोई राक्षस बैठ जाए तो परेशान वो सभ्य व्यक्ति ही होता है। उसके सारे अच्छे कर्म भ्रष्ट हो जाएंगे, बृहस्पतिदेव संतों का प्रतिनिधि करते हैं और उनको ज्ञान के देवता भी माना जाता हैं, इस कारण राहु ज्ञान, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में अड़चनें डालता है। किसी जातक की कुंडली में इस योग के बनने से व्यक्ति को धार्मिक गतिविधियों, धर्म गुरुओं, शिक्षा के क्षेत्र में नुकसान होता है। प्राकृतिक आपदा और हिंसा की संभावना भी रहती है।

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शास्त्रों में ये होता है चांडाल का अर्थ
शास्त्रों ने क्रूर कर्म और नीच कर्म करने वाले को चांडाल शब्द से संबोधित किया जाता है, राहु-गुरु युति को चांडाल योग इसलिए कहते हैं क्योंकि जब ज्ञान का लोप हो जाता है तो इंसान क्रूर कर्म करता है। गुरु राहु के प्रभाव में हो तो कर्म क्रूर हो जाते हैं, क्योंकि ज्ञान होने के बाद भी जो पाप करे, वो चांडाल कहलाता है। चांडाल को राक्षस से भी नीचे की श्रेणी का माना गया है। जो अज्ञान के कारण पाप या नीच कर्म करता है वो राक्षस होता है लेकिन ज्ञान का लोप करके, ज्ञानियों को पीड़ा देकर पाप करे उसे चांडाल कहा गया है।

कुंडली में चांडाल योग का उपाय
अगर चाण्डाल दोष गुरु या गुरु के मित्र की राशि या गुरु की उच्च राशि में बने तो उस स्थिति में हमें राहु के उपाय करके उसको ही शांत करना पड़ेगा ताकि गुरु हमें अच्छे प्रभाव दे सके। राहु की शांति के लिए मंत्र-जाप पूरे होने के बाद हवन करवाना चाहिए। तत्पश्चात दान इत्यादि करने का विधान बताया गया है। अगर ये दोष गुरु की शत्रु राशि में बन रहा हो तो गुरु और राहु दोनों के उपाय करने चाहिए।

गोचर कुंडली में बनने पर उपाय
गोचर कुंडली में इस योग का प्रभाव हो तो उक्त उपाय करना आवश्यक होता है। राहु का जप-दान करें। योग्य गुरु की शरण में जाकर सेवा करें और आशीर्वाद प्राप्त करें। वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यवहार में सामाजिकता लाएं। निर्णय लेते समय बड़ों की राय अवश्य लें। माता-पिता व वृद्धों का सम्मान करें।

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हनुमत आराधना
राहु हनुमानजी की आराधना से डरता है इसलिये हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें।

गाय को हरी घास
गाय को हरी घास खिलाएं व गरीबों को दान दें।

शिव एवम् गणेश पूजन
गणेशजी और शिव जी की उपासना और मंत्र जाप करें।

बरगद की जड़ में कच्चा दूध
बरगद के पेड की जड में कच्चा दूध डालें।

राहु की शांति
किसी योग्य व्यक्ति से राहु शांति का उपाय अवश्य करवाएं।

शिव की आराधना
भगवान शिव की आराधना नियमित रूप से करें। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।

केले का पूजन
गुरु की मजबूती के लिए केले का पूजन करें लाभ होगा। केला पूजन से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं तथा राहु को भय होता है।

राहु को शांत करें
अगर गुरु चाण्डाल दोष गुरु या गुरु के मित्र की राशि या गुरु की उच्च राशि में बने तो उस स्थिति में हमें राहु को शांत करने का उपाय करना पड़ेगा। ताकि गुरु हमे अच्छा फल दे सके।

गुरु और राहु दोनों के उपाय
अगर ये दोष गुरु की शत्रु राशि में बन रहा हो तो हमें गुरु और राहु दोनों के उपाय करने होंगे। गुरु-राहु से संबंधित मंत्र-जाप, पूजा, हवन तथा दोनों से सम्बंधित वस्तुओं का दान करना होगा।

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