जन्मकुंडली में यदि आपकी कुंडली में आंशिक या पूर्ण मंगल दोष है तो आपको विवाह के पूर्व उपाय जरूर कर लेना चाहिए

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में से किसी भी एक भाव में है तो यह ‘मांगलिक दोष’ कहलाता है। कुछ विद्वान इस दोष को तीनों लग्न अर्थात लग्न के अतिरिक्त चंद्र लग्न, सूर्य लग्न और शुक्र से भी देखते हैं। मान्यता अनुसार ‘मांगलिक दोष’ वाले जातक की पूजा वर अथवा कन्या का विवाह किसी ‘मांगलिक दोष’ वाले जातक से ही होना आवश्यक है। यदि आपकी कुंडली में आंशिक या पूर्ण मंगल दोष है तो आपको विवाह के पूर्व उपाय जरूर कर लेना चाहिए।

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कुंभ विवाह करें – अर्थात किसी घड़़े के साथ विवाह करते उसे फोड़ दिया जाता है। हालांकि इस संबंध में किसी पंडित से चर्चा करेंगे तो वे अच्छे से बता पाएंगे।

भात पूजन कराएं – उज्जैन के मंगलनाथ नामक स्थान पर भात पूजन होता है। यही एकमात्र स्थान है जहां यह कार्य होता है। इससे मंगलदोष समाप्त हो जाता है।

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नीम का पेड़ लगाएं – कभी भी जाकर सुरक्षित स्थान पर एक नीम का पेड़ लगाएं और तब तक उसकी देखरेख करें जब तक कि वह थोड़ा बड़ा नहीं हो जाता। आप चाहे तो बड़ा पेड़ भी लगाकर उसकी कम से कम 43 दिन तक देखरेख करें।

सफेद सुरमा लगाएं – सफेद सुरमा 43 दिन तक लगाना चाहिए।

मांस खाना छोड़ दें – यदि आप मांस खाते हैं तो विवाह पूर्व मांस छोड़ने का संकल्प लें।

क्रोध करना छोड़ दें – अपने क्रोध पर काबू और चरित्र को उत्तम रखना चाहिए। भाई-बहनों का सम्मान करें।

गुड़ खाएं और खिलाएं – यदि आपको किसी भी प्रकार की स्वास्थ समस्या नहीं है तो लोगों को गुड़ खिलाएं और खुद भी थोड़ा थोड़ा खाते रहें।

पेट और खून को साफ रखें – पेट में गैस बनना, कब्ज रहना और खून का गंदा होना मंगल खराब की निशानी है। अतः इस पर ध्यान दें और इसे ठीक करें।

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कुंडली अनुसार उपाय – अष्टम का मंगल है तो तंदूरी मीठी रोटी कुत्ते को 40 या 45 दिन तक खिलाएं और गले में चांदी की चेन पहनें। अदि सप्तम का मंगल है तो बुध और शुक्र का उपाय करने के साथ ही घर में ठोस चांदी रखें। यदि चौथा मंगल है तो वटवृक्ष की जड़ में मीठा दूध चढ़ाएं। चिड़ियों को दाना डालें, बंदरों को गुड़ और चना खिलाएं। अपने पास सदैव चांदी रखें। यदि मंगल लग्न में हैं तो शरीर पर सोना धारण करना चाहिए। यदि मंगर 12वें भाव में हैं तो नित्य सुबह खाली पेट शहद का सेवन करें। एक किलो बताशे मंगल के दिन बहते जल में प्रवाहित करें या मंदिर में दान दें।

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