प्रकृति की सुंदर गोदी में

खबर शेयर करें

प्रकृति की सुंदर गोदी में
खिला था एक ब्रह्म कमल, कोमल स्वप्निल पलको से
जिसने देखा जग को हर पल।
छाई प्रकृति जीवन में उसके जैसे धूप लिपटी किरणों से,
हुआ काव्य रसमय मधुमय तब, हरित आंचल शुभ्र शिखर से।
अमिट रत्न हिंदी सागर का रच गया प्रकृति का भंडार
सर्वजनों के हृदयों में, देकर अपना सर्वस्व….
गहन वादियां रोती हैं यह अब कहां अमर उपासक वह
कर गया हमें भी धन्य आज
देकर अपनी वाणी अद्भुत।
पला वह प्रकृति में, हर पल हर क्षण जिया वह प्रकृति में।
दुर्लभ चितेरा बन इस जगत् में प्रकृति का हर रूप संवारा था उसने
हरित् तन हरित् मन हरित् काव्यमय वह
प्रकृति थी, उसकी वह था प्रकृतिमय।

यह भी पढ़ें -   हल्द्वानीः नकली नोट गिरोह मामले से जुड़े तीन और सदस्यों को किया गिरफ्तार, पकड़े के आरोपियों के यूपी और राजस्थान से कनेक्शन

पुष्पलता जोशी, पुष्पांजलि
कवियित्री,
शिक्षण एवं स्वतंत्र लेखन, हल्द्वानी

Ad Ad Ad Ad Ad

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें

हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440