समाचार सच, देहरादून। केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव का रण भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने नाम कर लिया। इस उपचुनाव में बीजेपी की साख दांव पर थी, जबकि कांग्रेस के लिए यह एक नई ऊर्जा और उम्मीद का प्रतीक हो सकता था। बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल ने इस चुनाव में जीत दर्ज कर अपनी पार्टी को राहत दी, लेकिन कांग्रेस की हार ने उसे आगामी चुनावों में अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने का मौका दिया है।
बीजेपी ने बचाई अपनी प्रतिष्ठा
2024 के जुलाई में बीजेपी विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद खाली हुई केदारनाथ सीट पर उपचुनाव हुआ। बीजेपी ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पूरा संगठन मजबूती से मैदान में उतरा। इसके परिणामस्वरूप, बीजेपी अपने कैंडर वोट बैंक और क्षेत्रीय समीकरणों का फायदा उठाने में सफल रही।
कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी
मंगलौर और बदरीनाथ उपचुनावों में जीत के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह केदारनाथ में भी जीत का सिलसिला जारी रखेगी। लेकिन चुनाव के नतीजों ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत ने 2017 में इस सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में उनकी सक्रियता कम होने से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, उपचुनाव के दौरान उन्होंने अपनी सक्रियता बढ़ाई, लेकिन यह जनता को लुभाने के लिए पर्याप्त नहीं रहा।
जातीय समीकरण और संगठन की कमजोरी
केदारनाथ में कांग्रेस को मिली हार की बड़ी वजह जातीय समीकरण का बंटवारा रहा।
ठाकुर वोट तीन हिस्सों में बंट गएः बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन चौहान।
ब्राह्मण वोट पूरी तरह बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में एकजुट हो गया।
कांग्रेस का संगठन इस उपचुनाव में पूरी मजबूती के साथ काम नहीं कर पाया, जबकि बीजेपी ने अपने संगठनात्मक ढांचे को चुनाव जीतने में पूरी तरह झोंक दिया।
कांग्रेस के मुद्दे नहीं बने सहारा
चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने केदारनाथ धाम को दिल्ली शिफ्ट करने और मंदिर से सोना चोरी जैसे मुद्दों को उछाला। हालांकि, ये मुद्दे जनता का विश्वास जीतने में नाकाम रहे। राज्य सरकार ने इन मुद्दों पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी और पंडा-पुरोहितों को अपने पक्ष में कर लिया, जिससे कांग्रेस के प्रयास कमजोर पड़ गए।
कांग्रेस को भविष्य के लिए सबक
इस उपचुनाव में कांग्रेस भले ही हार गई हो, लेकिन उसने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की एकजुटता का प्रदर्शन किया। यह आगामी चुनावों के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है।
कांग्रेस को अब अपने संगठन को और मजबूत करने, क्षेत्रीय समीकरणों को समझने और जमीनी मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने की जरूरत है।
नतीजों की तस्वीर
बीजेपी – आशा नौटियाल: 23,130 वोट
कांग्रेस – मनोज रावत: 18,031 वोट
निर्दलीय – त्रिभुवन चौहान: उल्लेखनीय प्रदर्शन
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