समाचार सच, (आचार्य सुशोत राज)। वसंत पंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं।

उक्त जानकारी देते हुये डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। भर भर भंवरे भंवराने लगते। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है। माँ सरस्वती की पूजा करने से अज्ञान भी ज्ञान की दीप जाते हैं! सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं।
बसन्त पंचमी के दिन को इनके प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। बसंत पंचमी – 29 जनवरी 2020, पूजा मुहूर्त – 10ः45 से 12ः35 बजे तक, पंचमी तिथि का आरंभ – 10ः45 बजे से (29 जनवरी 2020), पंचमी तिथि समाप्त – 13ः18 बजे (30 जनवरी 2020) तक।
- बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा कर उन्हें फूल अर्पित किए जाते हैं।
- इस दिन वाद्य यंत्रों और किताबों की पूजा की जाती है।
- इस दिन छोटे बच्चों को पहली बार अक्षर ज्ञान कराया जाता है। उन्हें किताबें भी भेंट की जाती हैं।
- इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
- इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन किया जाता है।




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