समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। आषाढ़ शुक्ल की एकादशी के दिन देव सो जाते हैं इसलिए इसे देवशयनी एकादशी और हरिशयनी एकादशी कहते हैं। इस बार 17 जुलाई 2024 बुधवार के दिन यह एकादशी रहेगी। शुभ मुहूर्त में उचित पूजा विधि करेंगे तो लाभ होगा इसी के साथ इस दिन विशेष उपाय करने से हर तरह का फायदा होगा। आओ जानते हैं इस संबंध में विशेष जानकारी।


देवशयनी एकादशी के सबसे शुभ मुहूर्त
अमृत काल – शाम 04.23 से 06.03 तक।
हरिशयन मंत्र- सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्
- अर्थात् हे प्रभु आपके जगने से पूरी सृष्टि जग जाती है और आपके सोने से पूरी सृष्टि, चर और अचर सो जाते हैं। आपकी कृपा से ही यह सृष्टि सोती है और जागती है, आपकी करुणा से हमारे ऊपर कृपा बनाए रखें।
पूजा के शुभ मुहूर्तः
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04.13 से 04.53 तक।
प्रातः सन्ध्या: प्रातः 04.33 से 05.34 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:45 से 03.40 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम को 07.19 से 07.39 तक।
सायाह्न सन्ध्या: रात्रि 07.20 से 08.22 तक।
अमृत काल : शाम 04.23 से 06.03 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग -सुबह 05.34 से अगले दिन तड़के 03.13।
अमृत सिद्धि योग – सुबह 05.34 से अगले दिन तड़के 03.13।
देवशयनी एकादशी पूजा विधि–
- देवशयनी एकादशी का व्रत रखने वाले वे भक्तों को प्रातरूकाल उठकर स्नान करना चाहिए।
- पूजा स्थल को साफ करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसन पर विराजमान करके भगवान का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।
- भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन चढ़ाएं।
- उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित करें।
- भगवान विष्णु को पान और सुपारी अर्पित करने के बाद धूप, दीप और पुष्प चढ़ाकर आरती उतारें और इस मंत्र द्वारा
भगवान विष्णु की स्तुति करें…
- मंत्रः ‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।
- अर्थात हे जगन्नाथ जी! आपके निद्रित हो जाने पर संपूर्ण विश्व निद्रित हो जाता है और आपके जाग जाने पर संपूर्ण विश्व तथा चराचर भी जाग्रत हो जाते हैं।
’इस प्रकार भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन या फलाहार ग्रहण करें। - देवशयनी एकादशी पर रात्रि में भगवान विष्णु का भजन व स्तुति करना चाहिए।
- स्वयं के सोने से पहले भगवान को शयन कराना चाहिए।
इस तरह पूजा-अर्चना करने से श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती हैं।
देवशयनी एकादशी के उपाय-
- देवशयनी एकादशी का व्रत करने से सिद्धि प्राप्त होती है। तथा पूर्णरूप से विधिवत व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्त होकर मनुष्घ्य निरोगी रहता है।
- इस दिन विधिवत पूजन तथा देवशयनी एकादशी की कथा सुनने से सभी संकट दूर होकर भाग्य चमक जाता है।
- सभी व्रतों में देवशयनी एकादशी का व्रत उत्तम माना गया है। अतरू इस दिन श्री विष्णु-माता लक्ष्मी का पूजन करने से वे प्रसन्न होकर अपार धनलाभ की प्राप्ति का वरदान देते हैं।
- इस दिन तुलसी-शालिग्राम की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने से मृत्यु पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- देवशयनी एकादशी के दिन सायंकाल के समय तुलसी के पौधे पास घी का दीया जलाकर मंत्र- ऊँ वासुदेवाय नमः का 108 बार जाप करके 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें। इस कार्य से आपको सभी पापों से छुटकारा मिलने के साथ ही घर में सुख-शांति आएगी। तथा रातोरात आपकी किस्मत चमक उठेगी।


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