कृष्ण जन्माष्टमी : घर घर कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां शुरु

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समाचार सच, देहरादून। घर घर कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां शुरु हो गईं हैं। कृष्ण भक्त जन्माष्टमी का व्रत रखकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करेंगे। जन्माष्टमी की खरीदारी को लेकर बाजार लगभग तैयार हो गया है। कान्हा की बांसुरी, पालना आदि सामान की खरीदारी शुरू हो गई है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व नजदीक आते ही कान्हा की सुंदर-सुंदर पोशाक और मूर्तियों से बाजार में दुकानें सजने लगी हैं। जन्माष्टमी के चलते बाजार में चहल-पहल देखी जा रही है। जन्माष्टमी के चलते मंदिरों की साफ-सफाई व भव्य सजावट का कार्य भी शुरू हो गया है।

डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की इस बार भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रप्रद महीने की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। भगवान श्री कृष्ण का जन्म का भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को हुआ था। कृष्ण जी ने रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था। इसीलिए अगर अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र होता है, तो यह एक बहुत ही शुभ और विशेष संयोग माना जाता है।

इस बार जन्माष्टमी का पावन पर्व 30 अगस्त को पड़ रहा है। यदि इस दिन प्रेमपूर्वक भगवान की पूजा अर्चना की जाए तो वे अत्यंत आनंदित होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाकर उनके सारे दुख हर लेते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी या जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भारत के तमाम हिस्सों में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी जन्माष्टमी की धूम होती है। हर तरफ इस त्योहार को लोग हर्षोंल्लास से मनाते हैं। भगवान के लिए प्रेमपूर्वक व्यंजन तैयार करते हैं और रात को 12 बजे श्रीकृष्ण का पूजन करके इस पर्व को मनाते हैं। इस बार जन्माष्टमी का ये पावन पर्व 30 अगस्त को पड़ रहा है। कहा जाता है कि भगवान सिर्फ भाव के भूखे होते हैं। इसलिए अगर जन्माष्टमी के दिन आप प्रेमपूर्वक भगवान की पूजा अर्चना करें तो वे अत्यंत आनंदित होते हैं और अपने भक्त पर हमेशा अपनी कृपा बनाकर रखते हैं। साथ ही उनके सारे दुख हर लेते हैं।

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अगर आप भी इस जन्माष्टमी पर भगवान को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो पूजा के दौरान कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें।

  1. जन्माष्टमी पर रात में 12 बजे नार वाले खीरे से श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप का जन्म कराएं।
  2. श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उनका अभिषेक शंख में दूध डालकर करें. इससे भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं। आप चाहें तो दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल, इन पांच चीजों से भी अभिषेक कर सकते हैं।
  3. अभिषेक के बाद नन्हें कन्हैया को सुंदर वस्त्र पहनाएं, मुकुट पहनाएं और सुसज्जित झूले में बिठाएं।
  4. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन धार्मिक स्थल पर जाकर फल और अनाज दान करें।
  5. नन्हें कान्हा के लिए एक बांसुरी और मोरपंख लाकर रखें. इसे पूजा के दौरान भगवान को अर्पित करें।
  6. जन्माष्टमी के दिन नन्हे कान्हा को माखन और मिश्री का भोग जरूर लगाएं. साथ ही कान्हा के पूजन में तुलसी का इस्तेमाल करें।
  7. एक से पांच साल तक के किसी भी बच्चे को अपनी अंगुली से माखन और मिश्री चटाएं। इससे आपको भी महसूस होगा कि आप कन्हैया को भोग लगा रहे हैं।
  8. इस दिन गाय-बछड़े की प्रतिमा घर लेकर आएं और पूजा के स्थान पर रखकर उनकी भी पूजा करें।
  9. घर के आसपास कहीं गाय हो तो गाय की सेवा करें। उसे चारा खिलाएं या रोटी बनाकर खिलाएं और आशीर्वाद लें. श्रीकृष्ण एक ग्वाले थे, इसलिए वे गाय की पूजा करने वालों से अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
  10. भगवान को पीला चंदन लगाएं। पीले वस्त्र पहनाएं और हरसिंगार, पारिजात या शेफाली के फूल भगवान को जरूर अर्पित करें।

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