शंख से होती है कई रोगों की चिकित्सा

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समाचार सच. अध्यात्म डेस्क। शंख बजाने से दमा, अस्थमा, क्षय जैसे जटिल रोगों का प्रभाव काफी हद तक कम हो सकता है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि शंख बजाने से सांस की अच्छी एक्सरसाइज हो जाती है। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार, शंख में जल भरकर रखने, उस जल से पूजन सामग्री धोने और घर में छिड़कने से वातावरण रहता शुद्ध है। तानसेन ने अपने आरंभिक दौर में शंख बजाकर ही गायन शक्ति प्राप्त की थी। अथर्ववेद के चतुर्थ अध्याय में शंखमणिसूक्त में शंख की महत्ता वर्णित है। वैज्ञानिकों के अनुसार शंख ध्वनि से वातावरण का परिष्कार होता है। इसकी ध्वनि के प्रसार-क्षेत्र तक सभी कीटाणुओं का नाश हो जाता है। इस संदर्भ में अनेक प्रयोग परीक्षण भी हुए हैं। आयुर्वेद के अनुसार शंखोदक भस्म से पेट की बीमारियां, पीलिया, यकृत, पथरी आदि रोग ठीक होते हैं। ऋषि श्रृंग की मान्यता है कि छोटे – छोटे बच्चों के शरीर पर छोटे-छोटे शंख बांधने तथा शंख में जल भरकर अभिमंत्रित करके पिलाने से वाणी दोष नहीं रहता है। बच्चा स्वस्थ रहता है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि मूक तथा श्वास रोगी हमेशा शंख बजायें तो बोलने की शक्ति पा सकते हैं। हृदय रोगी के लिए यह रामबाण औषधि है।
आधुनिक विज्ञान के अनुसार शंख बजाने से हमारे फेफड़ों का व्यायाम होता है, श्वास संबंधी रोगों सो लड़ने की शक्ति मिलती है। पूजा का समय शंख में भरकर रखे गए जल को सभी पर छिड़का जाता है जिससे शंख के जल में कीटाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति होती है। साथ ही शंख में रखा पानी पीना स्वास्थ्य और हमारी हड्डियों, दांतों के लिए बहुत लाभदायक है। शंख में केल्शियम, फास्फोरस, गंधक के गुण होते हैं जो उसमें रखे जल में आ जाते हैं।

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