समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हिंदू धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, सर्प भय दूर होता है और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। भक्त इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से नाग देव के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि नाग पंचमी पर नाग देवता के दर्शन करना अत्यंत शुभ फलदायक होता है।
नाग पंचमी कब है?
पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 28 जुलाई, सोमवार को सुबह 11.24 बजे शुरू होगी और 29 जुलाई, मंगलवार की रात 12.46 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि को मानते हुए नाग पंचमी 29 जुलाई, मंगलवार को मनाई जाएगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस दिन नाग पंचमी की पूजा का शुभ समय सुबह 5.41 बजे से 8.23 बजे तक रहेगा। इसी समय में नाग देव की पूजा करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।
नाग पंचमी पूजा विधि
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर गाय के गोबर से नाग देवता की आकृति बनाकर उनका आवाहन करें और व्रत का संकल्प लें। पूजा में दूध, मेवा, अबीर, मेहंदी और फूलों का उपयोग करें। नाग देवता पर दूध चढ़ाकर मंत्रों का जाप करें और उन्हें श्रद्धा से भोग लगाएं। अंत में प्रार्थना करें कि सभी प्रकार की बाधाएं दूर हों।
कालसर्प दोष की शांति
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, कुंडली में जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं तो कालसर्प दोष बनता है। नाग पंचमी पर विशेष विधि से पूजा करने से इस दोष की शांति होती है और जीवन में बाधाएं कम होती हैं।
नोट – इस दिन जमीन की खुदाई, वृक्षों की कटाई या सर्पों को परेशान करना वर्जित माना गया है। इसलिए नाग पंचमी पर विशेष रूप से प्रकृति और जीवों के प्रति सहानुभूति दिखाना भी धर्म का हिस्सा माना जाता है।


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