देशभर में 25 दिसंबर तक 1 करोड़ से अधिक लोगों का प्रकृति परीक्षण होगाः डॉ. आशुतोष पंत

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समाचार सच, हल्द्वानी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की पहल पर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने 26 नवंबर से 25 दिसंबर 2024 तक आयुर्वेद सिद्धांतों के आधार पर 1 करोड़ से अधिक नागरिकों की प्रकृति का निर्धारण करने का लक्ष्य रखा है। आगामी वर्षों में यह योजना देश के सभी नागरिकों तक पहुंचाई जाएगी

उक्त जानकारी देते हुए पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी एवं नैनीताल जिला समन्वयक डॉ. आशुतोष पंत ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार, मनुष्यों की प्रकृति मुख्य रूप से वात, पित्त, कफ पर आधारित होती है। यदि किसी व्यक्ति की प्रकृति का निर्धारण कर लिया जाए, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि उसे क्या खाना चाहिए, किन चीजों से बचना चाहिए, और विभिन्न मौसमों में उसे क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। यह जानकारी न केवल व्यक्ति को स्वस्थ जीवन जीने में मदद करेगी, बल्कि चिकित्सा के दौरान चिकित्सकों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी।

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उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में अधिकांश बीमारियां जीवनशैली से जुड़ी होती हैं। प्रकृति निर्धारण के बाद नागरिकों को आयुष विभाग की ओर से मोबाइल फोन के माध्यम से उनकी प्रकृति के अनुसार परामर्श दिया जाएगा। यह परामर्श खानपान, आचार-व्यवहार और दैनिक जीवनशैली पर आधारित होगा।

उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया नागरिकों को बीमारियों से बचने में मदद करेगी। इससे स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में कमी आएगी। स्वस्थ नागरिक देश की प्रगति में सहायक बनेंगे।

उत्तराखंड में कार्यक्रम का क्रियान्वयन
-उत्तराखंड में भारतीय चिकित्सा परिषद को इस कार्यक्रम का नोडल एजेंसी बनाया गया है।
-जिला आयुर्वेद अधिकारी हर जिले में नोडल अधिकारी होंगे।
-प्रत्येक जिले में एक जिला समन्वयक को जिम्मेदारी दी गई है।
-नैनीताल जिले के समन्वयक के रूप में पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी एवं नैनीताल जिला समन्वयक डॉ. आशुतोष पंत को नामित किया गया है।

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23 नवंबर को देहरादून में आयोजित बैठक के बाद, सभी आयुर्वेदिक चिकित्सकों को इस कार्यक्रम की जानकारी दी जा रही है। नैनीताल जिले में 293 पंजीकृत आयुर्वेदिक चिकित्सकों के माध्यम से अधिकतम नागरिकों का प्रकृति परीक्षण किया जाएगा। इसमें सरकारी और निजी चिकित्सालयों का भी सहयोग लिया जाएगा।

प्रकृति परीक्षण से होंगे कई फायदे
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और बीमारियों से बचाव में मदद करना है। आयुष विभाग की यह पहल स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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