नवरात्रि में सभी देवियों में मां कात्यायनी को सबसे फलदायिनी माना जाता है

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। सभी देवियों में मां कात्यायनी को सबसे फलदायिनी माना जाता है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने खुद उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था और षष्ठम नवरात्रि के दिन मां कात्यायनी की पूजा और आराधना होती है। आपको बता दें कि मां कात्यायिनी की आराधना से भक्त का हर काम सरल एवं सुगम होता है। जीवन की ज्यादातर रुकावटें और परेशानियां मां कात्यायिनी की आराधना से दूर हो जाती हैं।

विवाह बाधा होती हैं दूर
देवी कात्यायनी का तंत्र में अति महत्व है। विवाह बाधा निवारण में इनकी साधना चमत्कारिक लाभदायक सिद्ध होती है। जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा हो या विवाह बाधा आ रही हो, ग्रह बाधा हो उन्हें कात्यानी यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर उस पर निश्चित दिनों तक निश्चित संख्या में कात्यायनी देवी के मंत्र का जप अति लाभदायक होता है। इससे विवाह बाधा दूर हो जाती है और जल्दी ही विवाह का मार्ग प्रशस्त होता है। जो खुद न कर सके वे अच्छे कर्मकांडी से इसका अनुष्ठान करवाकर लाभ उठा सकते हैं।

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कवच-
कात्यायनी मुखं पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी।।
कल्याणी हृदयं पातु जया भगमालिनी।।

रोग होते हैं दूर
यदि आपके परिवार अथवा आप स्वयं या आपके परिचित में कोई व्यक्ति लंबे समय तक बीमार रहता हो, डाक्टर स्वयं बीमारी को पकड़ नहीं पा रहे हों। तो आज के दिन यह उपाय शुरू किया जा सकता है। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा दें। दुर्गा यंत्र स्थापित करें। सफेद कपड़े में सात कौडियां, सात गोमती चक्र, सात नागकेसर के जोडे, सात मुट्ठी चावल बांध कर यंत्र के सामने रख दें। धूप-दीप, नैवेद्य, पुष्प और अक्षत अर्पित करने बाद एक माला ‘ऊं ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ऊं कात्यायनी देव्यै नमः’ एक माला शुक्र के बीज मंत्र की और एक माला शनि मंगलकारी गायत्री मंत्र की। ऐसा आज से लेकर 43 दिन तक नियमित करें। ऐसी मानता है कि कैसी भी बीमारी होगी। उससे छुटकारा मिल जाएगा।

भय से मिलेगा छुटकारा
यदि हमेशा भय बना रहता है, यदि छोटी सी भी बात पर पैर कांपने लगते हैं, यदि कोई भी निर्णय नहीं ले पाते हैं तो छठे नवरात्र से यह उपाय शुरू करें। घी का दीपक जला कर एक माला ऊं ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ऊं कात्यायनी देव्यै नमः मंत्र का सुबह और शाम जाप करें। रात्रि सोते समय पीपल के पत्ते पर इस मंत्र को केसर से पीपल की लकडी की कलम से लिख कर अपने सिरहाने रख दें और सुबह मां के मंदिर में रखकर आ जाएं। भय से छुटकारा मिल जाएगा।

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ग्रह पीड़ा निवारण
जिस जातक की जन्म कुंडली में शुक्र प्रतिकूल भाव, प्रतिकूल राशि या प्रतिकूल ग्रहों के साथ स्थित हो उन जातक-जातिकाओं को मां कात्यायनी के मंत्र का जाप करने से ग्रह प्रतिकूलता का निवारण हो जाता है।

इन दो राशियों के दूर होते हैं दुःखः
वृषभ और तुला राशि के लोग मां कात्यायनी की आराधना करें तो संपूर्ण समस्याओं का निवारण हो जाएगा। देवी कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं इनकी पूजा अर्चना द्वारा सभी संकटों का नाश होता है, मां कात्यायनी दानवों तथा पापियों का नाश करने वाली हैं। देवी कात्यायनी जी के पूजन से भक्त के भीतर शक्ति का संचार होता है। इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होने पर उसे सहजभाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त होते हैं। साधक इस लोक में रहते हुए अलौकिक तेज से युक्त रहता है।

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