अब उत्तराखण्ड में पंचायत चुनावों को लेकर हो गया है यह बदलाव…

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-दो से अधिक बच्चे वाले नहीं लड़ सकेंगे चुनाव
-हंगामे के बीच पंचायती राज संशोधन विधेयक पास

समाचार सच, देहरादून। अब उत्तराखण्ड में पंचायत चुनावों को लेकर एक बड़ा बदलाव हो गया है। उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र में हंगामे के बीच पंचायती राज संशोधन विधेयक पास कर दिया गया। हालांकि अभी इस विधेयक का ब्यौरा सामने नहीं आया है लेकिन इससे पहले सूत्रों से जो पता चला था उसके अनुसार दो से अधिक बच्चों वाले लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लग जाएगी।

विधेयक को सदन के पटल पर रखे जाने के समय और पास किए जाने के समय कांग्रेसी विधायक हंगामा कर रहे थे. कांग्रेस स्टिंग के मामले पर नियम 310 के तहत चर्चा करवाने की मांग कर रही थी। इसकी वजह से सुबह प्रश्नकाल नहीं हो सका था और करीब 11.55 पर सदन को 12.20 तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।

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सदन के दोबारा शुरु होने पर कांग्रेसी विधायकों ने फिर स्टिंग के मामले पर नियम 310 के तहत चर्चा करवाने की मांग को लेकर हंगामा शुरु कर दिया। कांग्रेस विधायक वेल में आ गए और धरने पर बैठ गएं वह नारेबाज़ी भी कर रहे थे जब पंचायती राज संशोधन विधेयक सदन में प्रस्तुत किया गया और पास कर दिया गया।

ज्ञात हो कि राज्य का अपना पंचायतीराज एक्ट 2016 में अस्तित्व में आया था। इसके बाद वर्तमान में राज्य सरकार ने इसमें संशोधन करने का निर्णय लिया। सरकार ने एक्ट में नगर निकायों की तरह ही पंचायतों में चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों की शर्त और न्यूनतम शैक्षिणक योग्यता के बदलाव पर जोर दिया। इसके लिए पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडेय ने मसौदा तैयार करने के निर्देश दिए थे।
इस मसौदे के लिए अधिकारियों को हरियाणा और राजस्थान के पंचायती राज एक्ट को देखने को कहा गया। साथ ही न्याय विभाग से भी राय मांगी गई। दो बच्चों के मामले में तो बदलाव होने के लिए सभी तरफ से हरी झंडी मिल गई थी लेकिन शैक्षणिक योग्यता पर कुछ साफ़ नहीं हो पाया था।

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गौरतलब कि उत्तराखंड में अकेले हरिद्वार को छोड़कर पंचायतों का कार्यकाल जुलाई में खत्म होने जा रहा है. इसके चलते चुनाव अब सितंबर में हो सकते हैं। यह संशोधित विधेयक पारित होने से चुनाव इसी तर्ज पर होंगे और कई लोग यह चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

इस मसौदे को बनाने के दौरान शैक्षणिक योग्यता को लेकर हरियाणा के मॉडल को उपयुक्त माना गया. हरियाणा में सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता हाईस्कूल, अनुसूचित जाति के लिए आठवीं और आरक्षित वर्ग की महिला के लिए पांचवीं पास होना जरूरी है। ऐसे में यदि इस मॉडल को लिया जाता है तो उत्तराखंड में भी यही होगा।
(साभार: न्यूज़ 18)

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