विद्यालयी शिक्षा में एक बार फिर फिसड्डी साबित हुआ…देशभर में मिला उत्तराखंड को 35वां स्थान

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समाचार सच, देहरादून। राष्ट्रीय स्तर पर हुए सर्वेक्षण में उत्तराखंड एक बार फिर फिसड्डी साबित हुआ है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की ओर से परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) 2020-21 की रिपोर्ट जारी की गई है। इस इंडेक्स में देशभर में उत्तराखंड को 35वां स्थान मिला है। उत्तराखंड को 1000 अंकों में से 719 अंक प्राप्त हुए हैं, जबकि हमसे पीछे केवल मेघालय और अरुणाचल प्रदेश ही इस सूची में हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी पीजीआइ की रिपोर्ट 70 संकेतांकों के कुल 1000 अंकों के आधार पर तैयार की गई है। परिणाम और शासन प्रबंध की दो श्रेणियों को पांच उप श्रेणियों में बांटकर शिक्षा के क्षेत्र में राज्यों के प्रदर्शन का आकलन किया गया है।

पांच उप श्रेणियों में लर्निंग आउटकम एंड क्वालिटी यानी सीखने के परिणाम और गुणवत्ता में उत्तराखंड ने कुल 180 में से 148 अंक प्राप्त किए हैं। विद्यालयों और शिक्षा की पहुंच के मामले में 150 में से 118 अंक राज्य को मिले हैं। लैंगिक से लेकर पढ़ाई के अवसरों में समानता की उपश्रेणी में राज्य को 230 में से 214 अंक दिए गए हैं। राज्य का सबसे खराब प्रदर्शन गवर्नेंस प्रोसेस यानी शासन प्रक्रिया में है। शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी पर विशेष बल दे रही केंद्र सरकार के मानकों में उत्तराखंड पिछड़ा साबित हुआ है। प्रदेश को 360 में से मात्र 170 अंक मिले हैं। प्रदेश में शिक्षा विभाग के कामकाज में सूचना प्रौद्योगिकी का हस्तक्षेप तेजी से बढ़ नहीं पा रहा है। दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर मैदानी क्षेत्रों में भी आनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था अच्छी नहीं है।

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सीखने के परिणाम, क्षमता पर भी शासन प्रक्रिया का प्रभाव है। विद्यालयों में छात्र और शिक्षक अनुपात में देशभर में बेहतर स्थिति में होने के बावजूद छात्रसंख्या के अनुपात में शिक्षकों की तैनाती में विसंगति ने पढ़ाई में भी उत्तराखंड को पीछे की पांत में खड़ा कर दिया है। पीजीआइ रैंकिंग में उत्तराखंड सिर्फ मेघालय और अरुणाचल प्रदेश से ही बेहतर स्थिति में है। राज्य बने हुए 22 वर्ष होने को हैं, लेकिन उत्तराखंड ने समान भौगोलिक स्थिति वाले हिमाचल प्रदेश से सीख लेने की कोशिश नहीं की। उत्तर प्रदेश से जिन कारणों को लेकर उत्तराखंड अलग राज्य बना था, उनमें शिक्षा भी प्रमुख कारक रहा है। इस रैंकिंग में उत्तर प्रदेश ने उत्तराखंड को काफी पीछे छोड़ दिया है।

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