उत्तराखण्ड में प्रत्येक ब्लॉक में की जायेगी एक संस्कृत गांव की स्थापना : धन सिंह रावत

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर सात दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ

समाचार सच, हल्द्वानी। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में प्रत्येक ब्लॉक में एक संस्कृत गांव की स्थापना की जायेगी। उच्च शिक्षा मंत्री शनिवार को भारत अध्ययन केंद्र काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी, आर्यावर्त शोध संस्थान देवभूमि विचार मंच उत्तराखंड, तथा संस्कृत भारती उत्तराखंड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के शुभारम्भ सत्र में बोल रहे थे। उनका कहना था कि नई शिक्षा नीति केवल किताबी ज्ञान नहीं वरन छात्रों में नैतिकता प्रतिबद्धता राष्ट्रभक्ति एवं भारतीय संस्कृति का भाव भी जागृत करेगी। उन्होंने राज्य में भी नई शिक्षा नीति के अनुरूप कार्य करने का आह्वान करते हुए राज्य में अंब्रेला एक्ट, संस्कृत को द्वितीय राजभाषा, एनसीआरटी पुस्तकों की अनिवार्यता, ई ग्रन्थालय की स्थापना आदि महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला में भारतीय ज्ञान परंपरा में संस्कृत की केंद्रीय भूमिका नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में विचार विर्मश किया गया। कार्यशाला के मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा एवं शताब्दी पीठाचार्य भारत अध्ययन केंद्र वाराणसी के कुलाधिपति कमलेश दत्त त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत भारत की भाषा नहीं है यह सारे भूखंड की भाषा है, यूनान से लेकर दक्षिण अफ्रीका के तट पर इसका प्रभाव है। आधुनिक भारतीय भाषा से ही संस्कृत का विस्तार है। संस्कृत का अंतर्संबंध सभी भाषाओं के साथ रहा है। भारतीय भाषा व संस्कृत भाषा समावेशी परंपरा है। ‘विद्ययामृत मश्नुते’
अर्थात संस्कृत भाषा तो अमृत को देने वाली है। बीज वक्तव्य के द्वारा मुख्य अतिथि ने अद्भुत जानकारियां प्रदान की।
उद्घाटन सत्र का धन्यवाद ज्ञापन समन्वयक भारत अध्ययन केंद्र वाराणसी प्रोफ़ेसर सदाशिव द्विवेदी द्वारा किया गया। प्रथम दिवस के तकनीकी सत्र में उद्बोधन देते हुए विशिष्ट अतिथि दिनेश कामत, अखिल भारतीय संगठन मंत्री संस्कृत भारती ने कहा कि संस्कृत में अभी बहुत सारी संभावनाएं हैं। राष्ट्रगान का उदाहरण देते हुए दिनेश कामत ने कहा कि जन गण मन अधिनायक में सारे शब्द संस्कृत के ही हैं।
विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर अंबिका दत्त शर्मा, दर्शन विभाग डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर मध्य प्रदेश ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में संस्कृत का स्थान और भारतीय परंपरा का महत्व विषय को लेकर नई शिक्षा नीति की विस्तृत समीक्षा की।
इन दोनों सत्रों की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति ओ पी एस नेगी ने भारतीय ज्ञान परंपरा का दिग्दर्शन तमाम ग्रंथों के आधार पर किया। विज्ञान के सिद्धांतों से उदाहरण देकर कुलपति ने कार्यशाला के विषय को संबोधित किया। उद्घाटन सत्र में उत्तराखंड संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपति देवी प्रसाद त्रिपाठी भी उपस्थित रहे। जबकि कार्यशाला के निदेशक प्रो0 एचपी शुक्ल ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यशाला की जानकारी दी।
कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ0 देवेश कुमार मिश्र ने किया। कार्यक्रम में प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संयोजक भगवती प्रसाद राघव, संस्कृत भारती की प्रांत अध्यक्ष जानकी त्रिपाठी, प्रांत संगठन मंत्री योगेश विद्यार्थी, पूर्व क्षेत्र संगठन मंत्री प्रताप सिंह संस्कृत भारती उपस्थित रहे। इस कार्यशाला में 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है।
कार्यक्रम के दौरान डॉ सूर्यभान सिंह, प्रोफेसर सोनू दिवेदी डॉक्टर नंदन तिवारी डॉक्टर नीरज जोशी डॉक्टर प्रभाकर पुरोहित, डॉक्टर गगन सिंह, डॉक्टर जटाशंकर तिवारी, डॉ रश्मि पंत, डॉ चंद्रावती जोशी, डॉ उषा जोशी पंत, डॉक्टर अखिलेश सिंह, बृजेश बनकोटी आदि उपस्थित रहे। तकनीकी सहायक राजेश आर्य एवं विनीत पौरियाल जी ने अपना सहयोग दिया। कार्यशाला का धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला संयोजक डॉ देवेश कुमार मिश्र के द्वारा किया गया।

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