समाचार सच, हल्द्वानी। शिक्षा के बढ़ते व्यावसायिकरण और अभिभावकों पर बढ़ते वित्तीय बोझ के खिलाफ हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में दो दिवसीय शांति मार्च का आयोजन किया गया। सामाजिक कार्यकर्ता दीप चंद्र पांडे के नेतृत्व में हुए इस मार्च में अभिभावकों, शिक्षकों, छात्रों और स्थानीय नागरिकों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने स्कूल यूनिफॉर्म्स, पुस्तक आपूर्ति में एकाधिकार, महंगी शैक्षिक सामग्रियों, एनसीईआरटी किताबों की छूट की विसंगतियों और शिक्षकों के शोषण जैसे मुद्दों पर सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की।


शांति मार्च के दौरान दीप चन्द्र पाण्डे का कहना था कि यह केवल हल्द्वानी का नहीं, बल्कि पूरे देश का मुद्दा है और शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। विशेष रूप से, एनसीईआरटी किताबों से जुड़ी समस्याओं पर जोर दिया गया। खराब या गलत मुद्रित एनसीईआरटी किताबों की वापसी न होने से अभिभावकों और पुस्तक विक्रेताओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उत्तराखंड सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है। इसके अलावा, इस विषय को राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने के लिए एक ऑनलाइन याचिका भी शुरू की गई है, जिसे जल्द ही संबंधित अधिकारियों को सौंपा जाएगा।
शांति मार्च में उठी यह प्रमुख मांगेंः
-स्कूल यूनिफॉर्म में बार-बार बदलाव -इससे अभिभावकों को अनावश्यक आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है।
-ब्रांडेड और महंगी नोटबुक्स की अनिवार्यता -जिससे पुस्तक आपूर्ति में एकाधिकार जैसी स्थिति बनी हुई है।
-एनसीईआरटी किताबों की छूट में अनियमितता -सरकार की 20 प्रतिशत छूट की घोषणा के बावजूद वास्तविक छूट 2.5 प्रतिशत से 12 प्रतिशत तक ही मिल रही है।
-शिक्षकों के साथ हो रहा शोषण- कम वेतन, अधिक कार्यभार और अनिश्चित रोजगार की समस्याएँ।
-जीएसटी बिलिंग में पारदर्शिता की कमी- महंगी शैक्षिक सामग्रियों और किताबों की वापसी संबंधी नियमों में विसंगतियाँ।




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