फूलदेई, छम्मा देई, दैणी द्वार, भर भकार

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-पारंपरिक फूलदेई त्यौहार उत्साह के साथ मनाया गया

समाचार सच, हल्द्वानी। फूलदेई, छम्मा देई, दैणी द्वार, भर भकार, ये देली स बारंबार नमस्कार लोकगीत के साथ उत्तराखंड का पारंपरिक फूलदेई त्यौहार उत्साह के साथ मनाया गया। बच्चे प्रातःकाल घरों में पहुंचे और देली (घर के दरवाजे) का पूजन किया। चैत मास की संक्रान्ति पर मनाया जाने वाला फूलदेई पर्व उत्तराखंड में विशेष महत्व रखता है। इस पर्व को सुख-समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। यह पर्व उत्तराखंड में खासे उत्साह के साथ मनाया गया। प्रातःकाल छोटे-छोटे बच्चे घरों में पहुंचे और फूल-पत्तों व चावल से देली का पूजन किया। शगुन के तौर पर घर के बड़े-बुजुर्गों ने बच्चों को चावल व पैसे भेंट स्वरूप प्रदान किये। उधर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी भागीरथीपुरम स्थित अपने आवास पर बच्चों के साथ प्रकृति का आभार प्रकट करने वाला पर्व फूलदेई मनाया। उन्होंने कहा कि यह पर्व प्रकृति के सरंक्षण एवं हमारी संस्कृति का द्योतक है। प्रकृति के इस लोकपर्व एवं प्राचीन संस्कृति को संजोऐ रखने के लिए सबको प्रयास करने होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बसंत ऋतु का यह पर्व सभी प्रदेशवासियों के जीवन में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली लाये। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति से जुड़ा फूलदेई का पर्व हमें पर्यावरण संरक्षण एवं प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों की भी याद दिलाता है।

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