-सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दी शीतल राज को बधाई, पिथौरागढ़ में खुशी की लहर
समाचार सच, पिथौरागढ़। कहते हैं इरादे अगर बुलंद हों तो उमंगें फौलाद बनकर खड़ी हो जाती हैं। पिथौरागढ़ के सल्मोड़ा गांव की रहने वाली बेटी शीतल राज ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया। सोमवार को बेस कैंप से एवरेस्ट समिट करने निकली शीतल ने 16 मई की सुबह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट समिट कर उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। इधर जहां एक ओर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शीतल राज को बधाई दी, वहीं दूसरी ओर पिथौरागढ़ शहर में खुशी की लहर दौड़ गयी है। लोगों ने शीतल के घर पहुंचकर परिजनों को बधाई दी।
जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जनपद की निवासी 24 वर्षीय पर्वतारोही शीतल राज ने गुरुवार को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंड एवरेस्ट पर भारतीय तिरंगा को लहराने में कामयाब हो गईं। उन्होंने माउंट एवरेस्ट को फतह कर लिया है। पर्वतारोही शीतल राज की यह दूसरी बड़ी उपलब्धि है। पिछले साल उन्होंने कंचनजंगा पर्वत को फतह किया था।
शीतल के एवरेस्ट फतह की जानकारी देते हुए कोच योगेश गर्ब्याल ने नेपाल में आधार शिविर पर मौजूद सूत्रों के हवाले से बताया कि शीतल गुरुवार की सुबह 6 बजे विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर पहुंच गई। शीतल ने पिछले महीने एवरेस्ट पर चढ़ने की शुरुआत की थी। बता दें कि योगेश खुद भी एवरेस्ट को फतह कर चुके हैं।
शीतल के पापा काट रहे थे गेहूं: जब शीतल राज माउंट एवरेस्ट में तिरंगा लहरा रही थी, तब उनके पिता उमाशंकर अपने खेतों में गेहूं कटाई का कार्य कर रहे थे। उमाशंकर खेत में कार्य करते हुए थक गये तो वहीं सुस्ताने लगे। इस दौरान उन्हानें फेसबुक खोला तो देखा कि उनकी बेटी ने माउंट एवरेस्ट फतह कर लिया है, तो वह खुशी झूम उठे। शीतल के पिता जाजरदेवल से पिथौरागढ़ तक टैक्सी वाहन में सवारियां ढोने का कार्य करते हैं, और खाली समय में अपने खेती का कार्य भी करते है। आज उमाशंकर ने अपनी मेहनत के दम पर अपनी बेटी को उसके मुकाम तक पहुंचा दिया है।
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