समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। यह श्राद्ध माताओं, दादी, परदादी और परिवार की अन्य दिवंगत विवाहित महिलाओं को समर्पित है। इस दिन श्राद्ध करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। धार्मिक मान्यतानुसार कुतुप काल को श्राद्ध कर्म करने के लिए सबसे शुभ और महत्वपूर्ण समय माना जाता है। इस मुहूर्त में किए गए कर्मों का फल सीधे पितरों को मिलता है।
नवमी श्राद्ध – 15 सितंबर की तिथि और मुहूर्त 2025
नवमी तिथि का प्रारम्भ- 15 सितंबर 2025 को सुबह 03.06 बजे से,
नवमी तिथि समाप्त- 16 सितंबर 2025 को सुबह 01.31 पर।
श्राद्ध अनुष्ठान समय – नवमी श्राद्ध सोमवार, सितंबर 15, 2025 को
कुतुप मुहूर्त- दोपहर 12.09 से 12.58 मिनट तक।
अवधि- 00 घंटे 49 मिनट्स
रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12.58 से 01.47 मिनट तक।
अवधि- 00 घंटे 49 मिनट्स
अपराह्न काल- दोपहर 01.47 से 04.14 मिनट तक।
अवधि- 02 घंटे 27 मिनट्स
मातृ नवमी का महत्व
श्राद्ध पक्ष में, प्रत्येक तिथि का श्राद्ध उसी तिथि को करना चाहिए जिस दिन व्यक्ति का निधन हुआ हो। लेकिन नवमी तिथि थोड़ी अलग है। इस दिन उन सभी महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु सुहागिन या अविवाहित अवस्था में हुई हो। यह तिथि विशेष रूप से माताओं, दादी, परदादी और परिवार की अन्य दिवंगत महिलाओं को समर्पित है।
नवमी तिथि का श्राद्ध विधि
पितरों का स्मरण करें
सबसे पहले पितरों का ध्यान करें और उनका स्मरण करें।
पिंडदान करें
तिल, जौ, गुड़ और आटे से बने पिंड को जल में अर्पित करें।
तर्पण करें
जल में तिल, कूशा और जल लेकर तर्पण दें। इसे तीन बार करना शुभ माना जाता है।
भोजन का भोग लगाएं
पितरों के लिए विशेष भोजन बनाएं और इसे कौआ, गाय, कुत्ता आदि जीवों को अर्पित करें। यह माना जाता है कि इन जीवों को भोजन देने से पितरों को तृप्ति मिलती है।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं
श्राद्ध के समय ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना भी जरूरी होता है।
दान करें
जरूरतमंदों को दान देना श्राद्ध के फल को बढ़ाता है।
सावधानियां
पवित्रता बनाए रखें – श्राद्ध के दिन स्नान अवश्य करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
शुभ मुहूर्त का पालन करें
श्राद्ध कर्म मुहूर्त में ही करें, इससे अधिक पुण्य मिलता है।
शांत मन से करें
श्राद्ध कर्म करते समय मन को शांत रखें और मन से पूर्वजों का स्मरण करें।
मांसाहार से परहेज
श्राद्ध के दिन मांसाहार वर्जित होता है।
पर्याप्त जल अर्पित करें
तर्पण में जल की मात्रा ठीक होनी चाहिए।
यह श्राद्ध इस दिन श्राद्ध करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
 
 
 
 
 

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