पितृ पक्ष 2022: श्राद्ध के दिन बढ़ने का ऐसा अशुभ योग 12 साल बाद बना, इस तिथि में गलती से भी न करें श्राद्ध!

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। श्राद्ध भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्विन मास की अमावस्घ्या तक 15 दिन चलते हैं। लेकिन इस साल अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक श्राद्ध 15 दिन की बजाय 16 दिन के हैं. पितृ पक्ष की तिथियां घटना या पूरे 15 दिन की होना अच्छा माना जाता है लेकिन श्राद्ध के दिन बढ़ना बहुत अशुभ माना जाता है। लेकिन साल 2022 में श्राद्ध के दिन बढ़ रहे हैं। इस कारण एक दिन ऐसा रहेगा जब कोई श्राद्ध नहीं किया जाना है। इस तारीख को अच्छी तरह ध्यान में रखें और इस दिन कोई श्राद्ध कर्म न करें। इस तरह श्राद्ध के दिन बढ़ने का ऐसा अशुभ योग 12 साल बाद बना है।

ऐसा है तिथियों का गणित
इस साल 10 सितंबर को पूर्णिमा और प्रतिपदा का श्राद्ध साथ में किया जाएगा। 16 सितंबर को सप्तमी का श्राद्ध होने के बाद 18 सितंबर को अष्टमी का श्राद्ध किया जाएगा। इस बीच तिथि क्षय होने के कारण 17 सितंबर को कोई श्राद्ध नहीं किया जाएगा।

श्राद्ध पक्ष की तिथियां
10 सितंबर – प्रतिपदा का श्राद्ध– जिन लोगों की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो, उनका श्राद्ध अश्विन कृष्घ्ण मास की प्रतिपदा को किया जाता है।

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11 सितंबर -द्वितीय का श्राद्ध- जिन लोगों की मृत्यु किसी भी द्वितिया तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध इन दिन किया जाएगा

12 सितंबर – तृतीया का श्राद्ध- जिन लोगों की मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई है, उसका श्राद्ध इस दिन किया जाएगा।

13 सितंबर – चतुर्थी का श्राद्ध- जिनका लोगों का देहांत चतुर्थी तिथि को हुआ है, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाएगा।

14 सितंबर – पंचमी का श्राद्ध- ऐसे जातक जिनका विवाह नहीं हुआ था और जिनका निधन पंचमी तिथि के दिन हुआ। उनका श्राद्ध इस दिन होगा। इस दिन को कुंवारा पंचमी श्राद्ध भी कहते हैं।

15 सितंबर – षष्ठी का श्राद्ध- जिन लोगों की मृत्यु षष्ठी तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध षष्ठी तिथि को किया जाता है।

16 सितंबर – सप्तमी का श्राद्ध- सप्तमी तिथि को जिनका निधन हुआ हो उनका इस दिन श्राद्ध होगा।

17 सितंबर – इस दिन कोई श्राद्ध नहीं होगा।

18 सितंबर – अष्टमी का श्राद्ध- अष्टमी तिथि पर जिनकी मृत्यु हुई हो उनका इस दिन श्राद्ध किया जाएगा।

19 सितंबर – नवमी का श्राद्ध- सुहागिन महिलाओं, माताओं का श्राद्ध नवमी तिथि के दिन करना उत्तम माना जाता है। इसलिए इसे मातृनवमी श्राद्ध भी कहते हैं।

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20 सितंबर – दशमी का श्राद्ध- जिन लोगों का देहांत दशमी तिथि के दिन हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन होगा।

21 सितंबर – एकादशी का श्राद्ध– एकादशी तिथि पर मृत संन्यासियों का श्राद्ध किया जाता है।

22 सितंबर – द्वादशी का श्राद्ध- द्वादशी के दिन जिन लोगों की मृत्यु हुई हो या ऐसे लोग जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है, ऐसे लोगों का श्राद्ध इस दिन किया जा सकता है।

23 सितंबर – त्रयोदशी का श्राद्ध- त्रयोदशी के दिन केवल मृत बच्चों का श्राद्ध किया जाता है।

24 सितंबर – चतुर्दशी का श्राद्ध- जिन लोगों की मृत्यु किसी दुर्घटना, बीमारी या आत्महत्या के कारण होती है, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है. कह सकते हैं कि अकाल मृत्यु प्राप्त लोगों का श्राद्ध इसी दिन होता है चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि पर हुई हो।

25 सितंबर – अमावस्या का श्राद्ध- सर्व पिृत श्राद्ध- इस दिन श्राद्ध-तर्पण जरूर करें ताकि जिन भी पूर्वजों की तिथि ज्ञात नहीं है, उन सभी के लिए अनुष्ठान करें।

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