प्रयागराज महाकुंभः भगदड़ पर उठ रहे सवाल, प्रशासन की तैयारियों पर बहस

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समाचार सच, प्रयागराज। महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या से पहले मंगलवार आधी रात को संगम नोज पर मची भगदड़ को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कुछ लोग इसे प्रशासन की नाकामी मान रहे हैं, तो कुछ बैरियर टूटने को हादसे की वजह बता रहे हैं। वहीं, मेले में बनाए गए 30 पॉन्टून पुलों के पूरी क्षमता से उपयोग न किए जाने को भी भीड़ नियंत्रण में बाधा माना जा रहा है। हालांकि, भगदड़ की असली वजह जांच के बाद ही साफ हो सकेगी।

कैसे हुई भगदड़?
घटना संगम नोज क्षेत्र में हुई, जो अखाड़ों के संतों के शाही स्नान के लिए निर्धारित है। आम तीर्थयात्री अमूमन इस क्षेत्र में नहीं जाते, लेकिन आम श्रद्धालु वहां आधी रात को कैसे पहुंचे, यह जांच का विषय बना हुआ है।

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मेले की व्यवस्थाः
-महाकुंभ मेले का क्षेत्र 4,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसे 25 सेक्टरों में बांटा गया है।
-संगम तट पर कुल 41 घाट बनाए गए हैं, जिनमें 10 पक्के और 31 अस्थायी घाट शामिल हैं।

प्रशासन और चश्मदीदों के बयान
महाकुंभ मेले की विशेष कार्याधिकारी आकांक्षा राणा ने बुधवार सुबह मीडिया को बताया कि संगम मार्गों पर कुछ बैरियर टूटने से भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हुई। हालांकि, उनका कहना है कि स्थिति गंभीर नहीं है और घायलों का इलाज चल रहा है।

-कर्नाटक से आई एक महिला ने बताया कि भीड़ अचानक संगम नोज की ओर बढ़ने लगी, तभी पीछे से धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े और बैरिकेड टूट गया।
-एक अन्य श्रद्धालु ने बताया कि रात 3 से 4 बजे के बीच कई लोग संगम किनारे बैठकर स्नान की तैयारी कर रहे थे, जिससे रास्ता अवरुद्ध हो गया। इसके बाद पीछे से भीड़ का दबाव बढ़ने से भगदड़ मच गई।
-एक और श्रद्धालु ने कहा कि जब वे रात 12रू30 बजे स्नान कर बाहर निकले, तो देखा कि प्रवेश मार्ग से भी लोग अंदर आ रहे थे, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।

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मेला प्रशासन ने कहा- हालात नियंत्रण में
महाकुंभ मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं से शांति बनाए रखने की अपील की है। सभी घाटों पर स्नान जारी है और स्थिति अब सामान्य बताई जा रही है। प्रशासन की ओर से भीड़ प्रबंधन को और मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि आगे ऐसी कोई घटना न हो।

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