समाचार सच, देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरकार असमंजस में है। पंचायती राज एक्ट में संशोधन अब तक नहीं हो सका है और ओबीसी आरक्षण तय करने की प्रक्रिया भी अधूरी है। इन सबके बीच सरकार की निगाहें राजभवन पर टिकी हैं, जहां एक्ट संशोधन से जुड़ा अध्यादेश विचाराधीन है। उम्मीद है कि मंजूरी मिलने के बाद इसी महीने के अंत तक चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है।


फिलहाल पंचायतों का संचालन प्रशासकों के जरिए हो रहा है, जिनमें पूर्व ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष शामिल हैं। इन पंचायतों का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर में पूरा हो गया था, लेकिन चुनाव न होने के कारण प्रशासक व्यवस्था लागू करनी पड़ी।
प्रदेश के 13 में से 12 जिलों में पंचायत चुनाव एक साथ होते हैं, जबकि हरिद्वार में चुनाव यूपी के साथ होते हैं। इन 12 जिलों में पंचायत कार्यकाल नवंबर के अंत तक समाप्त हो गया था, पर कानूनी औपचारिकताओं के अभाव में चुनाव अब तक नहीं हो सके।
एक्ट के अनुसार प्रशासकों का कार्यकाल केवल छह माह का होता है, जो इसी माह पूरा हो रहा है। ऐसे में सरकार को संशोधित एक्ट लागू कर, ओबीसी आरक्षण तय करना होगा। तभी राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी कर पाएगा।
निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार के अनुसार आयोग चुनाव के लिए तैयार है। मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण हो चुका है। अब निर्णय सरकार को लेना है कृ गेंद पूरी तरह सरकार के पाले में है।




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