रक्षाबंधन 2024: रक्षाबंधन पर पूजा-पाठ के साथ ही पितरों के लिए धूप-ध्यान जरूर करें, सूर्य को जल चढ़ाकर करें दिन की शुरुआत

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। सावन का अंतिम सोमवार 19 अगस्त को है। इसी दिन सावन पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन मनाया जाएगा। रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं, इसके साथ ही इस दिन शिव जी का विशेष अभिषेक भी करना चाहिए। सुबह पूजा-पाठ करें और दोपहर में करीब 12 बजे पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। सूर्याेदय के समय सूर्य को जल चढ़ाकर रक्षाबंधन की शुरुआत करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा।

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उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, सुबह सूर्याेदय के समय भगवान सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। लोटे में जल के साथ ही चावल, कुमकुम और फूल भी डाल लेना चाहिए। इसके बाद ऊँ सूर्याय नमरू मंत्र जपते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।

  • सावन पूर्णिमा पर गंगा, यमुना, अलकनंदा, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। जो लोग नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं, उन्हें घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय नदियों का और तीर्थों का ध्यान करें। ऐसा करने से घर पर तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिलता है।
  • सोमवार और पूर्णिमा के योग में शिव जी के साथ चंद्र देव का भी विशेष अभिषेक जरूर करें। गणेश पूजन के बाद शिवलिंग और चंद्रदेव की प्रतिमा पर जल, दूध, पंचामृत चढ़ाएं। चंदन का तिलक लगाएं। शिवलिंग पर चंदन का लेप करना चाहिए। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब, दूर्वा, शमी आदि फूल-पत्तियां अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। ऊँ नमरू शिवाय मंत्र का जप करें। ऊँ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करें।
  • भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। दूध में केसर मिलाएं और फिर भगवान का अभिषेक करें। दूध के बाद जल से अभिषेक करें। पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते हुए आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
  • पूर्णिमा की दोपहर में पितर देवता के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए। घर-परिवार के मृत सदस्यों को पितर देव कहते हैं। इन्हें धूप देने के लिए गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए तब अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें। इस दौरान पितरों का ध्यान करते रहें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल अर्पित करें।
  • घर के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बाल गोपाल का भी अभिषेक करें। नए वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। कृं कृष्णाय नमरू मंत्र का जप करें। माखन-मिश्री का भोग लगाएं। धूप-जलाएं। आरती करें।
  • किसी गौशाला में हरी घास का दान करें। गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। किसी मंदिर पूजन सामग्री का दान करें। जरूरतमंद लोगों को धन, कपड़े, अनाज, जूते-चप्पल का दान करना चाहिए।
  • रक्षाबंधन पर हमें अपने इष्टदेव को भी रक्षासूत्र बांधना चाहिए। इष्टदेव जैसे शिव जी, विष्णु जी, गणेश जी, हनुमान जी, श्रीकृष्ण, श्रीराम आदि। आप जिसे अपना इष्ट मानते हैं, उसे रक्षासूत्र बांध सकते हैं। इस दिन शिष्य अपने गुरु को भी रक्षासूत्र बांध सकते हैं।
  • किसी मंदिर में नीम, पीपल, बरगद, आम जैसे छायादाय वृक्ष के पौधे लगाएं और इन पौधों की देखभाल करने का संकल्प लें।
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